चकराता: 2022 के विधानसभा चुनाव की बिसात में राजनीतिक दल अपनी चालें चल रहे हैं। विरोधी को धूल चटाने के लिए हर तरह के दांव खेले जा रहे हैं। किसका दांव सही बैठेगा और किसका दांव काम नहीं आएगा, यह 10 मार्च को आने वाले चुनाव परिणाम के बाद ही पता चलेगा। लेकिन, उससे पहले आंकलन किए जा रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसा ही अनुमान कांग्रेस का गढ़ रही चकराता विधानसभा सीट को लेकर लगाया जा रहा है।
विधानसभा चुनाव में इतिहास रहा है कि चकराता कांग्रेस का गढ़ रह है। हालांकि, इस सीट पर मुन्ना सिंह चौहान का भी अच्छा प्रभाव रहा है। उन्होंने प्रीतम सिंह को चुनाव में हराया भी है। लेकिन, चकराता सीट से मुन्ना सिंह चौहान, प्रीमत सिंह से चुनाव हारे भी हैं। बाद में मुन्ना सिंह चौहान ने इस सीट से अपनी पत्नी को मैदान में उतारा और खुद विकासनगर सीट से चुनाव लड़ने लगे। तब से अब तक इस सीट पर कांग्रेस के प्रीतम सिंह का ही कब्जा रहा है। उनसे पहले उनके पिता गुलाब सिंह ने इस सीट से प्रतिनिधित्व किया था।
चकराता विधानसभा सीट देहरादून ज़िले के अन्तगर्त आती है। इस सीट पर कुल मतदाताओं की संख्या 1 लाख 5 हज़ार 60 है। इनमें पुरुष वोटर्स की तादाद 57 हज़ार 189 है और 47 हज़ार 871 महिला वोटर्स शामिल हैं। सियासी चश्मे से चकराता विधानसभा सीट की तस्वीर को देखा जाए तो अबतक के हुए विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कांग्रेस पार्टी ने ही सबसे ज्यादा बार जीत हासिल है। उत्तराखंड बनने से पहले भी और उसके बाद भी।
हमेशा विधानसभा चुनाव में चकराता सीट पर मुख्य मुकाबला भाजपा-कांग्रेस में ही देखने को मिलता आया है। इस बार कांग्रेस से पांचवी बार प्रीतम सिंह इस सीट से उम्मीदवार हैं। भाजपा ने इस बार चकराता सीट से रामशरण नौटियाल को चुनावी रण में उतारा है। रामशरण नौटिया जिला पंचायत अध्यक्ष रहे चुके हैं। अब देखना होगा कि दोनों में से कौन किस पर भारी पड़ता है।
2002 के विधानसभा चुनाव में प्रीतम सिंह ने पूर्व विधायक और उत्तराखंड जनवादी पार्टी के मुन्ना सिंह चौहान को हराया था। 2007 के चुनाव में प्रीतम सिंह ने मुन्ना सिंह चौहान की पत्नी मधु चौहान, 2012 में फिर से मुन्ना सिंह चौहान को मात दी। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी और पूर्व ज़िला पंचायत अध्यक्ष मधु चौहान को हरा दिया।
चकराता विधानसभा सीट का राजनीतिक भूगोल और इतिहास थोड़ा हटकर है। इस जनजातीय क्षेत्र की राजनीति हमेशा ही दल के बजाय परिवार पर केंद्रित रही है। बावजूद इसके 2022 की बिसात में इस बार आप, बसपा, उत्तराखंड क्रांतिदल के अलावा 5 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतरे हैं। इस बात इंतजार सभी को है कि इस मुकाबला कितना कड़ा होगा और जीत के किसके हाथ लगेगी।