उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) जल्द लागू किया जाएगा। यूसीसी के लिए गठित विशेषज्ञ समिति ने शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दी है। अब कल होने वाली कैबिनेट बैठक में यूसीसी ड्राफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी मिल सकती है। जिसके बाद इसे छह फरवरी को विधानसभा में पेश किया जाएगा।
उत्तराखंड में जल्द लागू होगा UCC
सीएम धामी ने कहा कि सरकार इस रिपोर्ट का विधिक अध्ययन और परीक्षण कर जल्द से जल्द उत्तराखंड राज्य के लिए समान नागरिक संहिता कानून का प्रारूप तैयार कर संबंधित विधेयक को आगामी विधान सभा के विशेष सत्र में रखेगी। इस कानून को लागू करने की दिशा में सरकार तेजी से आगे बढ़ रही है। बता दें यूसीसी ड्राफ्ट में कई बड़े प्रावधान किए हैं।
ड्राफ्ट में हो सकते हैं ये प्रावधान शामिल
- शादी के लिए रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। बिना रजिस्ट्रेशन के किसी भी दंपति को सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।
- लड़कियों के बढ़ाई जाएगी लिए शादी की उम्र ताकि वो शादी से पहले अपनी ग्रेजुएशन पूरी कर सके।
- पॉलीगैमी पर लगेगी रोक। (पॉलीगैमी एक से अधिक पत्नियों से विवाह करने की प्रथा है। जब कोई पुरुष एक ही समय में एक से अधिक पत्नियों से विवाह करता है)
- बच्चे के अनाथ होने की स्थिति में गार्जियनशिप की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।
- पति-पत्नी के झगड़े की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है।
- पति पत्नी दोनों के लिए ही अब तलाक के समान अधिकार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा। बता दें अभी पर्सनल लॉ के तहत पति और पत्नी के पास तलाक के अलग-अलग ग्राउंड हैं।
- नौकरीशुदा बेटे की मौत के बाद पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में वृद्ध माता-पिता के भरण पोषण की भी जिम्मेदारी होगी। अगर पत्नी पुर्नविवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का हिस्सा भी होगा।
- अगर पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता पिता का कोई सहारा न हो, तो उनके भरण पोषण का दायित्व पति पर होगा।
- उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। अभी तक पर्सनल लॉ के मुताबिक लड़के का शेयर लड़की से ज्यादा है।
- अन्य धर्म या जाति में विवाह करने पर भी लड़की के अधिकारों का हनन नहीं होगा।
- हलाला और इद्दत पर रोक होगी।
- गोद लेने की प्रक्रिया को किया जाएगा आसान। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार।
- लिव इन रिलेशनशिप के लिए जरूरी होगा पंजीकरण।