2008 में अहमदाबाद शहर को एक के बाद एक कर सिलसिलेवार बम धमाकों से दहलाया गया था। इस घटना में 56 बेगुनाहों ने अपनी जान गंवाई थी और 200 लोग घायल हुए थे। दावा किया गया कि नरेंद्र मोदी को निशाना बनाने के लिए ये बम धमाका किया गया था। वहीं आज 13 साल बाद कोर्ट ने इस घटना के 38 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई है। साथ ही 11 आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।
आपको बता दें कि आज से 13 साल पहले यानी की 2008 में अहमदाबाद में एक के बाद एक कर कई बम धमाके हुए थे। लोगों को समझ नहीं आ रहा था कि आखिर ये हो क्या रहा है और वो अपनी जान कैसे बचाए। हर और खूब औऱ लाशें। सरकार से लेकर दुनिया की सरकारों को इस घटना ने झकझोर कर रख दिया था. आज अहमदाबाद की विशेष अदालत ने इस मामले के 49 दोषियों के लिए सजा का ऐलान करते हुए 38 को फांसी और 11 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इस घटना में 56 लोगों की मौत हुई थी, साथ ही 200 लोग घायल हो गए थे।
आपको बता दें कि शाम का समय था और लोग आम दिन की तरह बाजार में खरीददारी कर रहे थे। शाम के 6:30 बजे होंगे जब बाजार में अचानक जोरदार धमाका हुआ, लोग सहम गए वो कुछ समझ पाते कि तभी एक के बाद एक लगातार 21 धमाके हुए। 45 मिनट में सब कुछ तबाह हो गया, 56 लोग मारे गए, 260 लोग जीवन और मौत के बीच जंग लड़ रहे थे. धमाके के बाद गुजरात की सूरत पुलिस ने 28 जुलाई से 31 जुलाई 2008 के बीच शहर के अलग-अलग इलाकों से 29 बम बरामद किए थे। ये धमाके भीड़-भाड़ वाली जगहों पर दहशत फैलाने के इरादे से किए गए थे। विस्फोट से कुछ मिनट पहले, टेलीविजन चैनलों और मीडिया को कथित तौर पर ‘इंडियन मुजाहिदीन’ द्वारा विस्फोटों की चेतावनी का एक ई-मेल मिला था।ॉ
गुजरात पुलिस के सामने चुनौती बहुत बड़ी थी, क्योंकि इसी अवधि के दौरान आतंकवादी समूह ‘इंडियन मुजाहिदीन’ द्वारा हस्ताक्षरित सीरियल धमाकों की कई घटनाओं का पता नहीं चला था, जिसमें बेंगलुरु, जयपुर, मुंबई, वाराणसी (वाराणसी) में विस्फोट शामिल थे। गुजरात में हुए इन धमाकों के मामलों की जांच क्राइम ब्रांच के पुलिस कमिश्नर आशीष भाटिया की अध्यक्षता में अहमदाबाद सिटी की क्राइम ब्रांच की विशेष टीमों को सौंपी गई।एसआईटी गठित की गई और दोषियों को चिन्हित कर गिरफ्तार कर जेल में डाला गया। आज 13 साल बाद बेगुनाहों को इंसाफ मिला है।