इस बार छठ पूजा की शुरूआत 17 नवंबर से हुई और आज इस पर्व का तीसरा दिन है आज संध्या काल में सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
सबसे पहले दिन छठ की शुरुआत नहाय खाय के साथ होती है। इसके बाद खरना, अर्घ्य और पारण किया जाता है। इसमें विशेष तौर पर सूर्य देवता और छठ माता की पूजा की जाती है। ऐसा माना जाता है कि इनकी पूजा से संतान की प्राप्ति, संतान की रक्षा और सुख समृद्धि का वरदान मिलता है। चार दिनों तक चलने वाले इस त्योहार को धूमधाम से मनाया जाता है।
इस समय देंगी महिलाएं अर्घ्य
आज 19 नवंबर को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा। आज के दिन सूर्यास्त की शुरूआत शाम 5 बजकर 26 मिनट पर होगी। इस समय व्रती महिलाएं सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं।
इस तरह करते हैं आज पूजा
छठ पर्व के तीसरे दिन जिसे संध्या अर्घ्य के नाम से जाना जाता है। यह चैत्र या कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन सुबह से अर्घ्य की तैयारियां शुरू हो जाती है। पूजा के लिए लोग प्रसाद जैसे ठेकुआ, चावल के लड्डू बनाते हैं। छठ पूजा के लिए बांस की बनी एक टोकरी ली जाती है, जिसमें पूजा के प्रसाद, फल, फूल आदि अच्छे से सजाए जाते हैं। एक सूप में नारियल, पांच प्रकार के फल रखे जाते हैं।
सूर्यास्त से थोड़ी देर पहले लोग अपने पूरे परिवार के साथ नदी के किनारे छठ घाट जाते हैं। छठ घाट की तरफ जाते हुए रास्ते में महिलाएं गीत भी गाती है। इसके बाद व्रती महिलाएं सूर्य देव की ओक मुख करके डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर पांच बार परिक्रमा करती है। अर्घ्य देते समय सूर्य देव को दूध और जल चढ़ाया जाता है। उसके बाद लोग सारा सामान लेकर घऱ आ जाते हैं। घाट से लौटने के बाद रात्रि में छठ माता के गीत गाते हैं।
डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का कारण
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सांयकाल में सूर्य अपनी पत्नी प्रत्यषा के साथ रहते हैं। इसलिए छठ पूजा में शाम के समय सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देकर उनकी उपासना की जाती है। कहा जाता है कि ढलते सूर्य को अर्घ्य देकर कर्ई मुसीबतों से छुटकारा पाया जा सकता है। सेहत से जुड़ी कई समस्याएं भी दूर होती हैं।