देश की 14 लाख महिला सरपंचों में से आंध्र, त्रिपुरा और राजस्थान की तीन महिला सरपंच यूएन मुख्यालय में भारत के शासन में महिलाओं की भूमिका पर अपनी बात रखेंगी। दरअसल, संयुक्त राष्ट्र में भारत का स्थायी मिशन पंचायती राज मंत्रालय और संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के सहयोग से एक आयोजन कर रहा है। यह सतत विकास के लक्ष्य, एसडीजी का स्थानीयकरण-भारत में स्थानीय शासन में महिलाएं विषय पर चर्चा है, जो 3 मई 2024 को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्रर् मुख्यालय सचिवालय भवन में आयोजित होगा। आइये जानते हैं भारत की तीनों सरपंच के बारे में।
सुप्रिया दास
त्रिपुरा के सिपाहीजाला जिला परिषद की सभाधिपति सुप्रिया दास दत्ता ने सुदुर वादियों में महज 600 स्वंय सहायता समूहों को 10 गुना बढ़ाकर 60 हजार महिलाओं को उसमें जोड़ा। वह फूल मेकिंग, मछली पालन, पशुपालन और पोल्ट्री का काम करके लगातार बढ़ रही बहनों के कुनबे को संभाल रही है और लगातार इसे और आगे बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
नीरू यादव
राजस्थान के झुंझुनू जिले की लांबी अहीर ग्राम पंचायत की सरपंच नीरू यादव ने महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होनें सरपंच बनने के बाद सबसे पहले खेलों के लिए लड़कियों को प्रोत्साहन देने के प्रयास शुरु किए., उनकी मेहनत रंग लाई और आज गांव की लड़कियां हॉकी में भविष्य को संवारने में जुटी है। इसके अलावा पर्यावरण को लेकर मेरा पेड़ मेरा दोस्त अभियान इतना लोकप्रिय हुआ कि स्कूली बच्चों ने सिर्फ स्कूलों में बल्कि गांव के चारों ओर करीब 17 हजार से ज्यादा पेड़ लगाए। वह यूएन में किस तरह से बालिकाओं के सर्वांगीण विकास के लिए उनके द्वारा काम किया इसकी कहानी बयां करेंगी।
कुनुकु
आंध्र प्रदेश खी पेकेरु ग्राम पंचायत की सरपंच कुनुकु हेमा कुमारी एमटेक हैं। उन्होनें शानदार नौकरी के सपने बुने थे, लेकिन सरपंच बनते ही उन्होनें अपने संपूर्ण तकनीकी ज्ञान को गांव के विकास और सरकारी योजनाओं का लाभ जन-जन तक पहुंचाने में लगा दिया। खासतौर पर स्वास्थ सेवाओं को अंतिम व्यकित तक पहुंचाने के लिए प्रभावशाली प्रबंधन न केवल तैयार किया बल्कि उस क्रियान्वित भी किया। वह अभी भी एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाती है और लोगों के जीवन को आसान बनाने के लिए लगातार काम कर रही हैं।