राजधानी दिल्ली में अब कबूतरों पर दाना डालने पर प्रतिबंध लग सकता है। दरअसल, पक्षियों की अधिक आबादी के कारण स्वास्थ्य संबंधी खतरे को देखते हुए दिल्ली नगर निगम कबूतरों को दाना डालने वाले स्थानों पर रोक लगा सकती है। इसके लिए एमसीडी प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है। अगर प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो दिल्ली के फुटपाथ, गोल चक्कर और सड़के के किनारे चौराहों आदि पर कबूतरों को दाना डालना बंद हो सकता है।
क्या है इस प्रस्ताव का उद्देश्य?
रिपोर्ट में मिली जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने बताया कि प्रस्ताव का उद्देश्य कबूतरों की बीट से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को हल करना है। दरअसल, कबूतरों की बीट में साल्मोनेला, ई.कोली व इन्फ्लूएंजा जैसे रोगाणु हो सकते हैं। ये रोगाणु अस्थमा जैसी सांस संबंधी बीमारी को बढ़ावा देते हैं। इसके अलावा इससे गंभीर एलर्जी हो सकती है।
एमसीडी के अधिकारियों ने क्या कहा?
एमसीडी के अधिकारियों के अनुसार इस प्रस्ताव में दाना डाले जाने वाले स्थानों का सर्वेक्षण करना होगा। इसके अलावा दाना डालने पर रोक लगाने के लिए एक परामर्श जारी किया जाना शामिल है। उन्होनें बताया कि चांदनी चौक, कश्मीरी गेट, जामा मस्जिद और इंडिया गेट सहित कई क्षेत्रों में दाना डालना आम बात है। एमीडी के अधिकारियों ने कहा कि, हम कबूतरों की उपस्थिति के खिलाफ नहीं है लेकिन समस्या तब पैदा होती है जब वे बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं और उनकी बीट विशिष्ट क्षेत्रों में जमा हो जाती है। उन्होनें बताया इससे बच्चों, बुजुर्गों और श्वस्न संबंधी रोगियों के लिए स्वास्थ्य संबंधी खतरा पैदा होता है।
डॉक्टरों ने क्या बताया?
रिपोर्ट में मिली जानकारी के अनुसार सर राम गंगा अस्पताल में लिवर ट्रांसप्लांट एवं हेपटोबिलरी सर्जरी विभाद के निदेशक व प्रमुख डॉ. उषास्त धीर ने बताया कि जब कबूतर बड़ी संख्या में इकट्ठा होते हैं तो उनकी बीट और पंख फड़फड़ाने से विभिन्न रोगजनकों, विशेष रुप से क्रिप्टोकोकी जैसे फंगल बीजाणुओं के फैलन का खतरा बढ़ जाता है। इन बीजाणुओं को सांस के जरिए अंदर लेने से गंभीर श्वसन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। जिनमें हाइपरसेंसिटिविटी न्यूमोनाइटिस, अस्थमा और यहां तक की मधुमेह जैसी स्थितियां वाले व्यक्तियों में गंभीर फंगल निमोनिया भी शामिल है।