प्रदेश में विकास के बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। लेकिन हकीकत इस से कुछ अलग ही है। आलम ये है कि राज्य गठन के लिए संघर्ष करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के गांव में आज तक सड़क ही नहीं पहुंच पाई। यहां आज भी बीमारों को अस्पताल ले जाने के लिए डोली एंबुलेंस बनी है।
मुनस्यारी में बीमार महिला को डोली से पहुंचाया अस्पताल
सरकार विकास के दावे आए दिन करते रहती है। लेकिन कभी ऐसी तस्वीरें सामने आती हैं जो कई सवाल खड़े कर देती है। ऐसी ही एक घटना पिथौरागढ़ के मुनस्यारी से सामने आई है।
जहां एक महिला को बेहोशी की हालत में अस्पताल ले जाने के लिए गांव वालों को डोली के सहारा लेना पड़ा। जिसके कारण महिला को बेहोश होने के घंटो बाद उपचार मिल सका।
स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के गांव में नहीं पहुंची सड़क
सबसे हैरान करने वाली बात ये है कि जिस गांव की ये घटना है वो एक नहीं बल्कि तीन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गांव है। इस गांव में दो -दो मुख्यमंत्रियों की सड़क की घोषणा के बाद भी आज तक सड़क नहीं पहुंच पाई है। सड़क नहीं होने के कारण ग्रामीणों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है।
मिली जानकारी के मुताबिक जोशा ग्राम पंचायत का गांधीनगर गांव तीन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गांव है। ये गांव अब भी सड़क से वंचित है। गांव में सड़क ना होने के कारण किसी के बीमार होने पर उसे अस्पताल पहुंचाना ग्रामीणों के लिए चुनौती बना हुआ है।
बेहोश महिला को डोली से पहुंचाया अस्पताल
मुनस्यारी के गांधीनगर गांव में सोमवार को अनीशा देवी 20 वर्ष पुत्र सुनील कुमार घर से कुछ दूरी पर कपड़े धो रही थी। तभी अचानक उसकी तबीयत खराब हो गई और वो बेहोश हो गई।
जिसके बाद आसपास के लोगों द्वारा सूचना परिजनों को दी गई। होश में बहुत प्रयास करने के बाद भी जब वो होश में नहीं आई तो उसे डोली के सहारे सात किमी दूर सड़क पर लाकर अस्पताल पहुंचाया गया।
दो बार हो चुकी है सड़क बनने की घोषणा
तीन-तीन स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का गांव तक सड़क पहुंचाने की घोषणा दो बार की गई थी। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और वर्तमान मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सड़क निर्माण की घोषणा की थी।
लेकिन इसके बावजूद सड़क नहीं बन पाई है। जिस पर गांव वालों ने रोष जताया है। इसके साथ ही जल्द से जल्द सड़क निर्माण की मांग की है। ऐसा ना होने पर ग्रामीणों ने आंदोलन की धमकी दी है।