सरोवर नगरी नैनीताल की विश्व प्रसिद्ध नैनीझील की गहराई तेजी से घट रही है। इसको लेकर अब चिंताए बढ़ने लगी है। क्योंकि बीते चार दशक में नैनीझील की गहराई दस मीटर से भी ज्यादा घट चुकी है। जिसके बाद अब इसके अस्तित्व पर भी संकट गहराने लगा है।
तेजी से कम हो रही है नैनीझील की गहराई
विश्व प्रसिद्ध नैनीझील की गहराई तेजी से कम हो रही है। बीते चालीस सालों में नैनीझील की गहराई दस मीटर से भी ज्यादा घट गई है। लगातार घट रही झील की गहराई के कारण नैनीझील के अस्तित्व पर संकड गहराने लगा है। लेकिन इसके बाद भी अब तक 1990 के बाद से इसकी बैथीमेटरी स्टडी नहीं की गई है।
विशेषज्ञों द्वारा चेताने के बाद भी नहीं हुई बैथीमेटरी स्टडी
1990 के बाद से अब तक नैनीझील की बैथीमेटरी स्टडी यानी तलहटी का अध्ययन नहीं हुई है। जिस से झील की वास्तविक स्थिति पता चल सके। इसके साथ ही बार-बार विशेषज्ञों द्वारा चेताए जाने पर भी बैथीमेटरी स्टडी नहीं करवाई जा रही है और ना ही शहर की धारण क्षमता का अध्ययन किया जा रहा है।
कार्यशाला में इस मामले पर हुई चर्चा
जल विज्ञान आंकलन और उत्तराखंड के पर्यटक शहरों में घटते जल संसाधनों के सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ” विषय पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिसमें विशेषज्ञों नैनीझील के बारे में तथ्यों को सामने रखा। इस ाकर्यशाला का आयोजन सेंटर फॉर इकोलॉजी डेवलपमेंट एंड रिसर्च (सीडर) द्वारा करवाया गया था।
विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के आधार पर रिपोर्ट की जाएगी तैयार
इस कार्यशाला में विशेषज्ञों का कहना है कि पर्वतीय क्षेत्रों की पारिस्थितिकी के संतुलन ना होना और इसी अनदेखी हिमालयी क्षेत्रों में विपदा और आपदा का कारण बन रही है।
इसके साथ ही कार्यशाला में पहाड़ में जल की बढ़ती आवश्यकता और घटते जल स्रोतों सहित विचार-विमर्श करने के साथ ही हिमालयी शहरों की जल सुरक्षा और स्थिरता के बारे में एक आम समझ विकसित करने और चुनौतियों से निपटने को कारगर रणनीति बनाने पर चर्चा हुई। इस पर विशेषज्ञों से विचार-विमर्श के आधार पर रिपोर्ट की जाएगी।