सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरू बाबा रामदेव की कंपनी पंतजलि आयुर्वेद को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने एलोपैथिक दवाओं को लेकर पतंजलि के भ्रामक विज्ञापन पर कंपनी को आड़े हाथ लिया है।
बता दें कि जस्टिस अहसानुद्दीन और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने पतंजलि को चेतावनी दी कि अगर उनके उत्पादों को लेकर इसी तरह के भ्रामक विज्ञापनों का प्रसारण जारी रखा तो उन पर एक करोड़ रूपये का जुर्माना लग सकता है।
कोर्ट ने दिया पतंजलि को निर्देश
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि पतंजलि आयुर्वेद भविष्य में ऐसा कोई विज्ञापन नहीं निकालेगी और प्रेस में उसके ओर से इस तरह के कैजुअल स्टेटमंट नहीं दिए जाएं। इसके साथ ही इस मुद्दे को एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की बहस नहीं बनाने की भी हिदायत दी है।
24 फरवी 2024 में होगी अगली सुनवाई
कोर्ट ने यह निर्देश इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर दिया है। इस याचिका में कहा गया था कि पतंजलि को भ्रामक विज्ञापन से एलोपैथी दवाइयों की उपेक्षा हो रही हैं। साथ ही आईएमए ने कहा था कि पतंजलि के दावों की पुष्टि नहीं हुई है और ये ड्रग्स एंड अदर मैजिक रेडेमी एक्ट 1954 और कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 2019 जैसे कानूनों का सीधा उल्लंघन है। इस मामले की अगली सुनवाई अब पांच फरवरी 2024 को होगी।
क्या है पूरा मामला
बता दें कि पतंजलि आयुर्वेद ने दावा किया था कि उनके प्रोडक्ट कोरोनिल और स्वसारी से कोरोना का इलाज किया जा सकता गै। इस दावे के बाद कंपनी को आयुष मंत्रालय ने फटकार लगाई थी औक इसके प्रमोशन पर तुरंत रोक लगाने को कहा था।