देश की सबसे बड़ी आईटी कंपनी इंफोसिस को खड़ा करने में बड़ा योगदान देने वाली सुधा मूर्ति (Sudha Murty) किसी पहचान की मोहताज नहीं है। इंफोसिस नहीं है। इंफोसिस के को-फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति ने इस कंपनी की शुरुआत के लिए अपनी पत्नी सुधा मूर्ति से 10,000 रुपये उधार लिए थे, तब ये कंपनी अस्तित्व में आई और आज दुनियाभर में भारत का झंडा बुंलंद कर रही है। अब सुधा मूर्ति बिजनेस सेक्टर से राजनीति जगत में एंट्री ले रही है। 8 मार्च को उन्हें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है।
1981 में की इंफोसिस की स्थापना
बता दें कि Sudha Murty के पति नारायण मूर्ति ने साल 1981 में अपने छह साथियों के साथ मिलकर इंफोसिस कंपनी की स्थापना की थी। आज यह भारत की टॉप-10 वैल्यूएवल कंपनियों में शामिल है और टाटा ग्रुप की टीसीएस के बाद दूसरी सबसे बड़े टेक कंपनी है। इंफोसिस का मार्केट कैप 6,69,920.64 करोड़ रुपये है और अमेरिका, इंग्लैंड सहित दुनिया के कई देशों में कारोबार है।
नारायण मूर्ति ने खुद अनेक मौकों पर इंफोसिस की शुरुआत और उसके यहां तक पहुंचने में अपनी पत्नी सुधा मूर्ति के योगदान के बारे में बताया है। पीएम मोदी ने खुद एक्स पोस्ट कर उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किए जाने की जानकारी शेयर की है। आइए आपको बताते हैं कि इंफोसिस और सुधा मूर्ति की शुरुआती जिंदगी कैसी रही।
जब Sudha Murty से उनके पति ने पैसे उधार मांगे
दरअसल, जब नारायण मूर्ति ने कंपनी की शुरुआत करने का प्लान बनाया था उस दौर में नारायण मूर्ति अपनी पत्नी सुधा मूर्ति के साथ एक कमरे के मकान में रहते थे। उस दौर में कंपनी की शुरुआत के बारे में सोचना भी दोनों के लिए मुश्किल था। हालांकि बुलंद हौसलों ने जीत की राह सुनिश्चित की।
सुधा मूर्ति खुद इसका जिक्र कई बार टीवी शो और इंटरव्यू में कर चुकी है। कंपनी का नाम इंफोसिस तय हो चुका था, लेकिन इसे शुरु करने के लिए पैसों की तंगी बनी हुई थी। तब सभी को-फाउंडर्स में नारायण मूर्ति ने अपना हिस्सा देने के लिए अपनी पत्नी से उस समय 10,000 रुपये उधार लिए थे।
अपार्टमेंट से शुरु हुई कंपनी
इन्हीं पैसों की वजह से पुणे के एक अपार्टमेंट से कंपनी की शुरुआत हुई। बाद में साल 1983 में कंपनी का मुख्यालय पुणे से बेंगलुरु ट्रांसफर कर दिया गया। फिर इस कंपनी ने ऐसा कमाल किया कि आगे बढ़ती चली गई और कारोबार फैलता गया। साल 1999 में इंफोसिस US STOCK MARKET नास्डैक में लिस्ट होने वाली पहली भारतीय कंपनी बन गई। आज इस कंपनी में 3 लाख से ज्यादा कर्मचारी काम कर रहे हैं।
Sudha Murty का करियर
सुधा मूर्ति का जन्म उत्तरी कर्नाटक में शिगांव में 19 अगस्त 190 को हुआ था। सुधा के पिता का नाम आर.एक.कुलकर्णी और माता विमला कुलकर्णी है। उन्होनें बीवीबी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी, हुबली से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। सुधा इंजीनियरिंग कॉलेज में 150 स्टूडेंट्स के बीच दाखिला पाने वाली पहली महिला थीं। जब वह क्लास में प्रथम आईं तो कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने उन्हें पदक से सम्मानित किया। बाद में इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस से कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री ग्रहण की। वे पढ़ाई के बाद टाटा मोटर्स की पहली महिला इंजीनियर भी थीं। इसके साथ ही उन्होनें आठ उपन्यास लिखे हैं।
सुधा मूर्ति के दामाद हैं ब्रिटेन के पीएम
सुधा मूर्ति के दो बच्चे हैं, बेटी अक्षता मूर्ति और बेटा रोहन मूर्ति। अक्षता नारायण मूर्ति ब्रिटेन में रहने वाली भारतीय फैशन डिजाइनर हैं और यूके के पीएम की पत्नी हैं। ब्रिटिश पीएम ऋषि सुनक सुधा मूर्ति के दामाद हैं। रोहन मूर्ति, मूर्ति क्लासिकल लाइब्रेरी ऑफ इंडिया के साथ ही एक डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन स्टार्ट अप सोरोको के संस्थापक हैं।