रुड़की : जँहा एक ओर सरकार पर्यावरण दिवस आदि जैसे दिनों को मनाती है जिसमे सभी नेताओं, विधायकों सहित मंत्री तक नए पेड़ लगाने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं लेकिन बाद उसके कोई उन पेड़ों पर ध्यान नहीं दे पाता और उन सभी पेड़ों को वन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी में दे दिया जाता है लेकिन वही जिम्मेदार वन कर्मी पेड़ मालिक के साथ साठगांठ कर रात के अंधेरे में हरे भरे पेड़ों पर आरी चलवा रहे हैं।
आपको बता दे जहाँ एक ओर वन कर्मी भी पेड़ लगाने की खोखली अपील लोगों से करते हैं तो वहीं इन पर आरोप है कि यह वनमाफ़ियाओ से मिलकर हरे भरे पेडों पर आरी भी चलवाने का काम बखूबी करते हैं। ताज़ा मामला रुड़की के बेलडा गाँव से सामने आया है जहाँ हाईवे के बिलकुल नज़दीक वन माफियाओं ने शीशम और सागौन जैसे बेसकीमती के दर्जनों पेड़ काट डाले। आरोप है कि इसकी सूचना वन दारोगा को पहले से थी लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गई। जब सूचना मिलने पर हमारी टीम मोके पर पहुँची और वन कर्मियों को मामले की सूचना दी तो वह भी मात्र खाना पूर्ति करने मौके पर पहुँचे और कटे हुए पेड़ों की नपाई करके अपनी नाकामी छुपाते नज़र आये। लेकिन बाग मालिक या वनमाफ़ियाओं के खिलाफ कोई भी कार्यवाही करने की बात से बचते नज़र आये। आपको बता दें कि मौके पर पहुंचे वन कर्मियों ने अपनी जिम्मेदारी तो बखूबी निभाई लेकिन कार्यवाही की कोई बात मीडिया को नही बताई।
आपको बता दें कि कुछ दिन पूर्व में भी धनोरी क्षेत्र में एक शीशम को वन माफियाओं द्वारा काट लिया गया था जिस पर किसी वन कर्मी ने कोई कार्यवाही नही की थी. जब मामला मीडिया के संज्ञान में आया और इस विषय मे रेंजर मयंक गर्ग रुड़की और एसडीओ ख़ुशाल रावत से बात की गई। तब हरकत में आकर 4 दिन बाद मुकदमा दर्ज किया गया. अब इससे यही अंदाज़ लगाया जा सकता है कि वन कर्मियों के द्वारा ही हरे भरे पेड़ों पर आरी चलवाने का काम किया जा रहा है।
सूत्रों की मानें तो यह भी बताया जा रहा है कि रात और दिन आरा मशीन भी वन कर्मियों की सह पर चलाई जा रही है जबकि आरा मशीन सूर्य अस्त हो जाने के बाद नहीं चल सकती लेकिन कलियर में लगी सभी आरा मशीन रात और दिन के उजाले में चलती हैं जिन पर कोई भी वन अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि उच्च अधिकारी अपने विभाग के ऐसे वन कर्मियों पर किस प्रकार की कार्यवाही अमल में लाते है यह तो आने वाला समय ही बताएगा।