तमिलनाडु में नमक बनाने वाले श्रमिकों के लिए गंभीर व्यावसायिक स्वास्थ्य जोखिम पैदा हो गया है। जलवायु परिवर्तन के कारण वैश्विक तापमान में लगातार बढ़ोतरी हो रही है।
मीडिया रिपोर्ट में मिली जानकारी के अनुसार श्री रामचंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च की डॉ. विद्या वेणुगोपाल के नेतृत्व में एकत्र टीम ने यह अध्ययन किया है। अधिकारियों ने कहा है कि तमिलनाडु में नमक बनाने वाले सभी श्रमिकों के बीच किए गए शोध में कमजोर व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए अनुकूलन रणनीतियों औऱ बेहतर स्वास्थ्य देखभाल पहुंच की तत्काल आवश्यकता का पता चलता है।
सात साल्ट पैन में 352 श्रमिकों पर अध्ययन
2017 से 2020 के बीच तमिलनाडु के सात साल्ट पैन में 352 श्रमिकों पर अध्ययन किया गया। इस दौरान विभिन्न कार्य भूमिकाओं के लिए कार्यभार और अप्रत्यक्ष ताप तनाव स्तरों का मूल्यांकन किया गया। अध्ययन में प्रमुख संकेतक के तौर पर शिफ्ट से पहले और बाद की हृदय गति, शरीर का मुख्य तापमान, मूत्र की विशेषताएं, पसीने की दर और किडनी के कार्य मापदंडो को मापा गया।
नमक बनाने वाले स्थानों पर ब्रेक की कमी
मीडिया रिपोर्ट में मिली जानकारी के अनुसार अध्ययन में पाया गया कि हर श्रमिक या तो भारी या मध्यम काम के बोझ तले था और चिंताजनक रूप से लगभग 90 प्रतिशत कर्मचारी गर्मी के जोखिम की अनुशंसित सीमा से ऊपर काम करते पाए गए। अंतरराष्ट्री नियम ऐसी परिस्थितियों में नियमित ब्रेक अवधि लागू करने की सलाह देते हैं। लेकिन जांच किए गए किसी भी नमक बनाने वाले स्थानों पर इस तरह के ब्रेक की सुविधा नहीं थी। श्रमिकों ने गर्मी के कारण तनाव, निर्जलीकरण और मूत्र पथ के संक्रमण के लक्षणों की सूचना दी, जो संभवतः अत्यधिक पसीना आने, शौचालय तक पहुंच की कमी और उनकी शिफ्ट के दौरान सीमित पानी की खपत के कारण थे।
गुर्दे के स्वास्थ्य पर गर्मी के तनाव का प्रभाव
डॉ. विद्या वेणुगोपाल ने मीडिया रिपोर्ट में बताया कि विशेष रूप से चिंता का विषय गुर्दे के स्वास्थ्य पर गर्मी के तनाव का प्रभाव है। अध्ययन में 7 प्रतिशत श्रमिकों में कम अनुमानित ग्लोमेरूलर निस्पंदन दर ईजीएफआ व्यापक रूप से होने का पता चला। ईजीएफआ किडनी के कार्य का एक संकेतक है। गर्मी का तनाव किडनी से जुड़ी विभिन्न समस्याओं से जुड़ा हुआ है। जिनमें तीव्र किडनी की चोट, किडनी में पथरी, किडनी रोग और मूत्र पथ के संक्रमण शामिल है।
स्वास्थ्य देखभाल जरूरी- वेणुगोपाल
वेणुगोपाल ने कहा कि कमजोर व्यक्तियों की सुरक्षा के लिए अनुकूलन रणनीतियों को लागू करने और स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता पहुंच और कल्याण सुविधाओं में सुधार के लिए तत्काल कार्रवाई आवश्यकता है।