देहरादून: यूक्रेन से भारतीय छात्रों और अन्य लोगों को वापस लाने का सिलसिला जारी है। लेकिन, सबसे बड़ी चिंता उन छात्रों की है, जो यूक्रेन के पूर्वात्तर क्षेत्र में फंसे हैं। उन तक अभी तक मदद नहीं पहुंची है। मदद नहीं पहुंचने से छात्र खासे चिंतित हैं। जिस तरह से खारकीच पर रूस ने हमला किया है। उससे छात्रों और परिजनों को चिंता सता रही है।
रूस की सीमा के करीब खारकीव में फंसी काशीपुर के शमीम सैफी की बेटी उंजिला ने यूक्रेन युद्ध क्षेत्र की स्थिति का खौफनाक मंजर बयां किया है। इसमें बताया गया है कि खारकीव में यूनिवर्सिटी और हॉस्टल में कई भारतीय छात्र फंसे हैं। खारकीव यूक्रेन के पूर्वाेत्तर में है, जबकि भारत सरकार ने रेस्क्यू यूक्रेन के पश्चिमी बॉर्डर से किया है। खटीमा के अंकुर वर्मा, मिताली बिष्ट, भजन सिंह और ऋषभ अभी वहीं फंसे हैं।
रूस-यक्रेन युद्ध के बीच भारतीय छात्र की मौत के बाद वहां फंसे अन्य छात्र डरे हुए हैं। उंजिला के अनुसार पश्चिमी सीमा पर पड़ने वाले शहरों लवीव, ओरजड आदि शहरों से जाने के लिए ट्रांसपोर्ट है। यहां से छात्र पौलेंड, हंगरी, रोमानिया आदि बार्डरों की ओर जा रहे है जबकि खासकीव से पश्चिम बॉर्डर पर पड़ने वाले देशों की दूरी काफी अधिक है।
बमबारी के चलते इतनी लंबी दूरी तय कर पाना सुरक्षा की दृष्टि से संभव नहीं है। बमबारी के चलते कई शहरों के बीच संपर्क कटा हुआ है। ऐसे में खारकीव से इन देशों को होकर रेस्क्यू किया जाना मुश्किल है। खारकीव से रूस का अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट बेलगोरोद सिर्फ 70 किमी दूर है। इस समय सबसे तेज जंग इसी इलाके में हैं। अगर इस क्षेत्र में दो घंटे का युद्ध विराम हो जाए तो रूस के रास्ते भारतीय छात्र आसानी से वतन वापसी कर सकते हैं।