देहरादून। विधासनभा के निलंबित सचिव मुकेश सिंघल की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। मुकेश सिंघल के खिलाफ अब विधानसभा में प्रशासनिक स्तर पर कार्रवाई शुरु कर दी है। ऐसे में अब ये तय है कि मुकेश सिंघल के कार्यकाल के दौरान हुए हर कामकाज का पूरा हिसाब किताब होगा।
दरअसल उत्तराखंड अधिनस्थ सेवा चयन आयोग की परीक्षाओं में धांधली का मामला सामने आने के बाद विधानसभा में बैकडोर से हुई भर्तियों का मामला भी उठा। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष ने एक समिति बनाकर 2016 के बाद हुई नियुक्तियों की जांच कराई थी। इस जांच में 250 से अधिक कार्मिकों को नियम विरुद्ध नियुक्ती दिए जाने की बात सामने आई। इसी जांच में विधासनभा सचिव मुकेश सिंघल को लेकर भी सवाल उठे। मुकेश सिंघल पर परीक्षा कराने के लिए विवादित कंपनी को ठेका देने और उसे अग्रिम भुगतान करने के आरोप भी लगे। इसके बाद वर्तमान विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूरी ने मुकेश सिंघल को सस्पेंड कर दिया और बाद में उन्हें गैरसैंण से अटैच भी कर दिया।
वहीं अब मुकेश सिंघल के कार्यकाल की जांच के लिए विधानसभा स्तर पर तैयारी हो गई है। विधासनभा प्रशासन मुकेश सिंघल के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों और अन्य फैसलों की जांच कर सकता है। खबरें आईं कि बैकडोर से होने वाली नियुक्तियों की अधिकतर फाइलें सिंघल अपने केबिन में ही रखते थे। उन्हे किसी अन्य को देखने की इजाजत नहीं थी। इन्ही आरोपों के चलते ऋतु खंडूरी ने सिंघल का कमरा अपने सामने ही सील करा दिया था।
वहीं अब तक जांच में सामने आया है कि मुकेश सिंघल ने विधानसभा में होने वाली भर्तियों के लिए परीक्षा के आयोजन कराने के लिए उसी कंपनी पर भरोसा किया जिसका नाम UKSSSC पेपर लीक में सामने आया है। लिहाजा जांच हुई तो खुलासा हुआ कि कंपनी को परीक्षा के लिए एडवांस रकम दी गई थी। तकरीबन 60 लाख रुपए का अग्रिम भुगतान किया गया था। इन्ही सब खुलासों के बाद सिंघल संदेह के घेरे में आ गए।