देश के संविधान की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संसद में 75 रुपये का एक स्मारक सिक्का और डाक टिकट जारी किया। संविधान दिवस पर संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए मुर्मू ने कहा कि संविधान एक जीवंत और प्रगतिशील दस्तावेज है। राष्ट्रपति ने संविधान की पहली संस्कृत प्रति और उसके मैथिली संस्करण का भी अनावरण किया।
संविधान को अपनाए जाने पर किया विचार
सभा को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति मुर्मू ने 75 साल पहले संविधान को अपनाए जाने पर विचार किया और इसे ऐतिहासिक क्षण बताया। उन्होनें देश के आधारभूत पाठ को आकार देने में संविधान सभा की 15 महिला सदस्यों के योगदान पर भी जोर दिया। राष्ट्रपति ने सभी भारतीयों से संवैधानिक आदर्शों को अपने आचरण में आत्मसात करने और अपने मौलिक कर्तव्यों का पालन करने और साल 2047 तक विकसित भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में काम करने का आग्रह किया।
मिलजुल कर काम करें
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि संविधान की भावना के मुताबिक, कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका का यह दायित्व है कि वे सामान्य लोगों के जीवन को सुगम बनाने के लिए मिलजुल कर काम करें। न्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों के दौरान, सरकार ने समाज के सभी वर्गों, विशेषकर कमजोर वर्गों के लोगों के विकास के लिए अनेक कदम उठाए हैं। ऐसे निर्णयों से लोगों का जीवन बेहतर हुआ है तथा उन्हें प्रगति के नए अवसर मिल रहे हैं।