Guru Gobind Singh जयंती 17 जनवरी 2024 को मनाई जा रही है। गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के दसवें और अंतिम गुरु थे। जूलियन कैलेंडर के मुताबिक गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर 1666 को बिहार के पटना शहर में हुआ था। उनके पिता गुरु तेग बहादुर थे, जो सिख धर्म के नौंवे गुरु थे। माना जाता है कि जिस स्थान पर गुरु गोबिंद सिंह का जन्म हुआ था, उसे अब तख्त श्री हरिमंदर जी पटना साहिब के नाम से जाना जाता है। साल 1676 में बैसाखी के दिन नौ साल की उम्र में गुरु गोबिंद को सिखों का दसवां गुरु घोषित किया गया। गुरु गोबिंद सिंह की मृत्यु 7 अक्टूबर 1708 को पंजाब के नादेड़ शहर में हुई थी। गुरु गोबिंद सिंह सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण गुरुओं में से एक हैं। वे एक महान कवि, योद्धा, नेता और धर्मगुरु थे। उन्होनें सिख धर्म को एक मजबूत और संगठित धर्म में बदल दिया। गुरु गोबिंद सिंह ने कुछ वचन ऐसे कहे जिसे अपना लिया तो जीवन सरल और आदर्श बन सकता है। आइये जानते हैं Guru Gobind Singh के अनमोल वचन।
Precious words of Guru Gobind Singh
- धरम दी किरत करनी
अपनी जीविका ईमानदारी पूर्वक काम करते हुए चलाएं।
- जगत-जूठ तंबाकू बिखिया दी तियाग करना
इस वचन का मतलब है हमेशा नशे और तंबाकू के सेवन से दूर रहें।
- गुरुबानी कंट करनी
गुरुबानी को कंठस्थ कर लें।

- दसवंड देना
हर व्यक्ति को अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दे देना चाहिए।
- किसी दी निंदा, अतै इर्खा नै करना
व्यक्ति को कभी भी किसी दूसरे की चुगली या निंदा नहीं करनी चाहिए। किसी से भी ईर्ष्या करने के बजाए परिश्रम करना ज्यादा फायदेमंद होता है।
Precious words of Guru Gobind Singh
- बचन करकै पालना
अगर आपने किसी को वचन दिया है तो हर कीमत पर उस वचन को निभाना चाहिए। कमिटमेंट नहीं तोड़ना चाहिए।
- कम करन विच दरीदार नहीं करना
व्यक्ति को अपने काम मे खूब मेहनत करनी चाहिए। काम को लेकर कोताही कभी भी नहीं बरतनी चाहिए।