बागेश्वर : पीएम मोदी का उत्तराखंड से खास लगाव है। वो किसी ना किसी बहाने से देवभूमि आते रहते हैं और सौगातें भी देते रहते हैं. पीएम मोदी अक्सर मन की बात करते हैं जिसमे अब तक वो कई उत्तराखंडियों के हुनर की तारीफ कर चुके हैं और उत्तराखंड के टेलेंटेड छात्र-छात्राओं से भी बात कर चुके हैं। एक बार फिर से पीएम मोदी ने अपनी मन की बात में आज उत्तराखंड की सामाजिक कार्यकर्ता और पद्मश्री से सम्मानित बसंती बहन की सराहना करते हुए लोगों को उनसे प्रेरणा लेने की अपील की।
पीएम ने कही ये बात
पीएम मोदी ने मन की बात में कहा कि बसंती देवी का पूरा जीवन संघर्षों के बीच गुजरा। कम उम्र में ही उनके पति का निधन हो गया और वो एक आश्रम में रहने लगीं। जहां रहकर उन्होंने नदी बचाने के लिए संघर्ष किया और पर्यावरण संरक्षण के लिए असाधारण योगदान दिया। उन्होंने महिलाओं के शसक्ति करण के लिए भी काम किया।
12 साल की उम्र में हो गई थी शादी
आपको बता दें कि बसंती देवी मूल रूप से पिथौरागढ़ के कनालीछीना निवासी की रहने वाली है। उनको बसंती बहन के नाम से ही जानते हैं. बसंती देवी की 12 साल की उम्र में ही शादी हो गई थी लेकिन कुछ ही समय के बाद कच्ची उम्र में पति की मौत हो गई। उन्होंने दूसरी शादी नहीं की बल्कि पिता की प्रेरणा से मायके आकर पढ़ाई शुरू की। 12वीं करने के बाद गांधीवादी समाजसेविका राधा बहन से प्रभावित होकर सदा के लिए कौसानी के लक्ष्मी आश्रम में आ गईं। वर्तमान में आश्रम संचालिका नीमा बहन ने बताया कि बसंती बहन कुछ समय से पिथौरागढ़ में ही रह रही हैं।
पीएम मोदी के मन की बात पर सीएम धामी ने ट्वीट कर बताया कि जागेश्वर में पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने मन की बात सुनी। पीएम मोदी ने उत्तराखंड की विख्यात सामाजिक कार्यकर्ता बसंती देवी और पद्मश्री से सम्मानित बसंती बहम के कार्यों की सराहना की। बता दें कि कुछ दिनों पहले ही बागेश्वर जिले के कौसानी स्थित लक्ष्मी आश्रम की बसंती देवी को समाज सेवा के क्षेत्र में पद्मश्री सम्मान देने की घोषणा की गई है। पर्यावरण संरक्षण के लिए संघर्षरत बसंती बहन ने सूखती कोसी नदी का अस्तित्व बचाने के लिए महिला समूहों के माध्यम से सशक्त मुहिम चलाई। घरेलू हिंसा और महिला उत्पीडऩ रोकने के लिए उनका जनजागरण आज भी जारी है।
आपको बता दें कि बसंती देवी ने समाजसेवा की शुरुआत अल्मोड़ा के धौलादेवी ब्लाक मेें बालबाड़ी कार्यक्रमों के जरिए की। बसंती देवी ने महिलाओं के भी संगठन बनाए। 2003 में लक्ष्मी आश्रम की संचालिका राधा बहन ने उन्हें अपने पास बुलाया और कोसी घाटी के गांवों में महिलाओं को संगठित करने की सलाह दी। बसंती देवी की कोशिश के कारण कौसानी से लेकर लोद तक पूरी घाटी के 200 गांवों में महिलाओं के सशक्त समूह बने। महिलाओं और पंचायतों के सशक्तिकरण के लिए उन्होंने 2008 मेें काम शुरू किया। गांवों में महिला प्रतिनिधियों के साथ निरंतर संपर्क रखकर उन्हेें आत्मनिर्भर बनाया। वर्तमान में 242 महिला प्रतिनिधि सशक्तीकरण अभियान से जुड़ी हैं। हिमालय ट्रस्ट के संचालक लक्ष्मी आश्रम से जुड़े वरिष्ठ समाजसेवी सदन मिश्रा ने कहा कि कोसी बचाओ अभियान सहित महिलाओं और पंचायतों के सशक्तीकरण को बसंती बहन ने अभूतपूर्व काम किए हैं।