राम मंदिर में आज राम लला की प्राण प्रतिष्ठा में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम एक ओर उपाधि दी गई है। उन्हें गोविंददेव गिरी जी महाराज ने राजर्षि की उपाधि दी है। आइये जानते हैं राजर्षि क्या होते हैं और किन्हें ये उपाधि दी जाती है।
गोविंददेव गिरी जी महाराज ने क्या कहा?
राम मंदिर में मौजूद गोविंददेव गिरी जी महाराज ने कहा कि राम मंदिर में केवल एक मूर्ति की प्रतिष्ठा नहीं है। पीएम मोदी के प्रयासों से राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हो सकी। उन्होनें आगे कहा कि पीएम मोदी ने रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए अपने को सिद्ध करने के लिए पूरी नियमावली का पालन किया। इसके साथ ही उन्होनें पीएम मोदी को राजर्षि की उपाधि दी।
राजर्षि का क्या अर्थ होता है?
बता दें कि राजर्षि का अर्थ होता है राजा और ऋषि यानी जिस व्यक्ति के अंदर राजा और ऋषि दोनों के गुण होते हैं उन्हें राजर्षि कहा जाता है। साधारण शब्दों में कहे कि वह राजा जो विद्वान हो।
राजा जनक को भी मिली थी ‘राजर्षि’ की उपाधि
मां सीता के पिता जनक को भी राजर्षि की उपाधि मिली थी। क्योंकि वह ज्ञान और धर्म के मार्ग में चले थे। राजा होने के बावजूद उन्होनें अपना जीवन भोग-विलास की तरह नहीं जिया। बल्कि धार्मिक कार्यों में रहकर सांसारिक मोह माया से मुक्त रहें। जन्म और कर्म से तो वह राजा थे लेकिन चिंता और आत्मा से ऋषि के समान थे। ऋषि और साधकों जैसे अष्टावक्र और सुलाभा के साथ उनकी बातचीत प्राचीन ग्रंथों में दर्ज की जाती है। उन्होने सांसरिक प्रलोभनों से रहकर धर्म का निवर्हन किया। इसी कारण उन्हें राजर्षि की उपाधि दी गई।