भारतीय रेसलर रीतिका हुड्डा को वूमेन्स 76 किलो फ्रीस्टाइल रेसलिंग के क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा है। 10 जुलाई को खेले गए क्वार्टर फाइनल में रीतिका को शीर्ष वरीयता प्राप्त और 2 बार की वर्ल्ड चैम्पियनशिप मेडलिस्ट किर्गिस्तान काइजी ने हराया। मुकाबले की समाप्ति के समय स्कोर 1-1 से बराबर था। लेकिन आखिरी अंक एपेरी काइजी को मिला था, जिसके चलते वह विजेता बनने में कामयाब रहीं। रीतिका के पास अब रेपचेज के जरिए ब्रॉन्ज मेडल जीतने का मौका होगा। हालांकि रीतिका को यह दुआ करनी होगी कि एपेरी काइजी इवेंट के फाइनल में पहुंच जाएं।
क्या होता है कुश्ती में पैसिविटी का नियम?
रीतिका का क्वार्टर फाइनल मुकाबला काफी कड़ा रहा और दोनों रेसलर ने पैसिविटी के जरिए 1-1 अंक बनाए। बता दें कि फ्रीस्टाइल कुश्ती में पैसिविटी का उपयोग मैच को आक्रामक करने के लिए भी किया जाता है। ऐसा तब होता है जब किसी भी पहलवान ने पहले दो मिनट के भीतर एक भी अंक हासिल न किया हो। ऐसे मामले में जो रेसलर कम आक्रामक रहता है, उसे 30 सेकेंड के अंडर एक अंक लेना रहता है। यदि तीस सेकेंड के भीतर वह रेसलर अंक नहीं लाता है तो विपक्षी टीम को एक पॉइंट मिल जाता है। पहले हाफ में पैसिविटी के जरिए रीतिका हुड्डा ने 1 अंक लिया। फिर दूसरे हाफ में किर्गिस्तान की रेसलर ने पैसिविटी के जरिए 1 अंक लिए। कुश्ती के नियमों के अनुसार जो रेसलर अंतिम तकनीकी अंक हासिल करता है, उसे जीत मिलती है। चूंकि आखिरी अंक किर्गिस्तान की रेसलर ने हासिल किया था, ऐसे में उसे जीत मिली। रितिका हुड्डा ने प्री-क्वार्टर फाइनल मैच में हंगरी की रेसलर बर्नाडेट नागी को 12-2 से हरा दिया था। रीतिका प्री-क्वार्टर फाइनल मुकाबले में हंगरी की रेसलर पर पूरी तरह से भारी पड़ी। रीतिका टेक्निकल सुपीरियरिटी आधार पर जीत गईं। बता दें कि यदि कोई पहलवान 10 अंकों की लीड बना लेता है, तो मुकाबला नहीं समाप्त कर दिया जाता है।