देवभूमि उत्तराखंड में भगवान राम के एक नहीं बल्कि 18 Ram mandir हैं। जिसमें से 10 मंदिर गढ़वाल मंडल में तो आठ मंदिर कुमाऊं मंडल में हैं। देवप्रयाग में जहां ऐतिहासिक रघुनाथ मंदिर है जहां पर भगवान राम ने तपस्या की थी तो वहीं अल्मोड़ा में स्थित रामशिला मंदिर है जहां भगवान राम की चरण पादुका हैं।
गढ़वाल मंडल में मौजूद हैं 10 राम मंदिर ( 10 Ram Mandir in Garhwal )
गढ़वाल मंडल में भगवान राम के 10 मंदिर हैं। जिसमें से छह मंदिर तो हरिद्वार जिले में ही स्थित हैं। हरिद्वार में भूपत वाला स्थित श्री राम मंदिर लगभग 125 साल पुराना है। इसके साथ ही रूड़की में भी एक राम मंदिर स्थित है। उत्तरकाशी जिले में बड़कोट तहसील के खेर गांव तथा गंगाटाडी में भगवान राम के दो मंदिर हैं। लेकिन इन मंदिरों की स्थापना के बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है। इसके साथ ही रघुनाथ मंदिर भी गढ़वाल मंडल में ही है।
कुमाऊं मंडल में हैं आठ राम मंदिर ( 8 Ram Mandir in Kumaon Division)
जबकि कुमाऊं मंडल में भगवान राम के आठ मंदिर स्थित हैं। कुमाऊं मंडल के नैनीताल जिले में ही तीन राम मंदिर स्थित हैं। जिसमें से एक हल्द्वानी, एक रामनगर और एक गर्मपानी में स्थित है। अल्मोड़ा में चंद्र राजाओं द्वारा स्थापित किया गया राम मंदिर है। इस मंदिर में भगवान राम की चरण पादुकाएं हैं। चंपावत जिले में राम के दो प्रमुख मंदिर हैं। इसी तरह बागेश्वर जिले के ठाकुरद्वारा और पिथौरागढ़ जिले के गंगोली में भी भगवान राम का मंदिर मौजूद है।
यहां की थी भगवान राम ने तपस्या ( Devprayag Raghunath Temple )
भगवान राम ने अपनी आखिरी तपस्या उत्तराखंड के देवप्रयाग में की थी। ये खूबसूरत जगह अब एक प्रसिद्ध तीर्थस्थल के तौर पर जानी जाती है। देवप्रयाग अलकनंदा-भागीरथी नदी के संगम पर बसा है। देवप्रयाग देवभूमि उत्तराखंड के पंच प्रयागों में से एक है। जिस स्थान पर भगवान राम ने तपस्या की थी वहां पर भव्य मंदिर रघुनाथ मंदिर की स्थापना की गई है।
यहां मौजूद हैं भगवान राम की चरण पादुकाएं ( Almora Ramshila Temple )
अल्मोड़ा जिले में स्थित रामशिला मंदिर में भगवान राम की चरण पादुकाएं मौजूद हैं। यहां पर भगवान राम के शिला रूपी चरण देखने को मिलते हैं। इस मंदिर की स्थापना राजा रुद्रचन्द ने अल्मोड़ा के मल्ला महल में साल 1588 में करवाई थी। बताया जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 400 साल से भी ज्यादा पुराना है।