क्या आप जानते हैं आपको नॉन स्टिक पैन, नॉन स्टिक कढ़ाई और नॉन स्टिक बर्तन बीमार कर सकते हैं। ये आपकी सेहत के दुश्मन भी हो सकते हैं। दरअसल, पिछले साल 2023 में अमेरिका में लगभग 250 लोगों को हॉस्पिटल में एडमिट किया गया था। इन्हीं नॉन स्टिक बर्तनों की वजह से।
बता दें कि अधिकतर नॉनस स्टिक बर्तनों में टेफ्लॉन नाम के केमिकल की परत चढ़ी होती है। इस परत की वजह से खाना बनाना आसान होता है। खाना जलता नहीं है। अगर नॉर्मल टेम्परेचर में टेफ्लॉन का इस्तेमाल किया जाए, तो वे सुरक्षित है। लेकिन अगर हम इन नॉन स्टिक बर्तनों को ज्यादा तेज आंच पर रखते हैं तो टेफ्लॉन की परत बर्तन से छूटने लगती है। वो कभी खाने में मिल जाती है तो कभी धुआं बन जाती है। फिर यही खाना और धुआं हमें बीमार बना देता है। इस बीमारी को टेफ्लॉन फ्लू कहते हैं।
पॉलिमर फ्यूम फीवर भी हैं इसका नाम
मीडिया रिपोर्ट में डॉक्टर से मिली जानकारी के मुताबिक, इसे पॉलिमर फ्यूम फीवर भी कहते हैं। ये खाने की चीजों के जरिए हमारे शऱीर में फैलता है। पिछले साल अमेरिका में टेफ्लॉन फ्लू के 250 से ज्यादा मामले पाए गए थे। टेफ्लॉन एक केमिकल है जो खाना बनाने के कुछ बर्तनों में पाया जाता है ताकि बर्तन कम घिसे और खाना बनाने में आसानी हो। मगर बर्तन जब ज्यादा गर्म हो जाता है तो पॉलीटेट्राफ्लोरोएथिलीन यानी टेफ्लॉन केमिकल की कोटिंग निकलने लगती है। फिर इसके जहरीले धुएं से सांस लेने में दिक्कतें आने लगती हैं, जिसे टेफ्लॉन फ्लू कहते हैं।
टेफ्लॉन फ्लू होने का कारण
टेफ्लॉन की कोटिंग में PTFE और PFOA जैसे केमिकल्स पाए जाते हैं। अगर टेफ्लॉन की केटिंग वाले किसी बर्तन को 500 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा तापमान पर गर्म किया जाए या फिर उसे खुरोंचा जाए तो इन केमिकल्स से उठे धुएं में कैंसर फैलाने वाले तत्व होते हैं। साथ ही ये हमें थॉयरॉइड, सांस और दिल से जुड़ी दिक्कतें भी दे सकता है। जब इन केमिकल्स का धुआं हमारे शरीर में आता है, खासकर उन लोगों में जो मेटल वेल्डिंग या कुकिंग इंडस्ट्री में काम करते हैं तो उन्हें कुछ लक्ष्ण महसूस होते हैं और फिर टेफ्लॉन फ्लू हो जाता है।
टेफ्लॉन फ्लू के लक्ष्ण
बुखार आना, सिरदर्द होना, मांसपेशियों में दर्द, गले में दर्द, जोड़ों में दर्द और अकड़न
क्या है इससे बचने के उपाय
- मिट्टी के बर्तन और ग्रेनाइट के बर्तन का करें उपयोग
- बिना टेफ्लॉन कोटिंग वाले बर्तनों का करें इस्तेमाल