विकास पुरुष स्व. पंडित नारायण दत्त तिवारी की जयंती एवं पुण्य तिथि के मौके पर 18 अक्तूबर को देश भर में उन्हें याद किया गया। इस दौरान एनडी तिवारी के बेहद करीब रहे उनके OSD नृपेंद्र तिवारी ने नेता जी के साथ अपनी स्मृतियां साझा कीं
नृपेंद्र तिवारी के शब्दों में, एनडी तिवारी उत्तराखंड में विकास की नीव रखने वाले, शैक्षिक एवं औद्योयोगिक क्रांति के जनक थे। प्रदेश में दून विश्वविद्यालय एवं सिडकुल जैसे उद्यमों की स्थापना एन डी तिवारी के कार्यकाल में हुई।
उत्तराखंड में आज युवाओं को शिक्षा के लिए प्रदेश के बाहर नहीं जाना पढ़ रहा है बल्कि उन्हें विश्वस्तरीय शिक्षा प्रदेश में ही मिल रही हैं। वही दूसरी ओर सिडकुल में चल रहे उद्योगों में प्रदेश के लोगो को रोज़गार मिल रहा है साथ ही प्रदेश के विकास में भी बढ़ोतरी हो रही हैं।
तिवारी जी के साथ कई वर्षो तक कार्य कर चुके नृपेंद्र तिवारी बताते हैं कि एनडी तिवारी का नाम उस समय सबसे ज्यादा काम करने वाले नेताओं में शामिल था। उन्होंने बताया की नारायण दत्त तिवारी मंत्री बनने के बाद अपने दफ्तर रोज़ाना करीब 18 घंटे काम किया करते थे। वह चाहे सुबह 2 बजे या 4 बजे लेकिन कार्य समाप्त करके ही सोते थे।
सुबह अपने लॉन में कुछ समय टहलने के बाद वह लोगों से मिलने के लिए तैयार हो जाते थे। साथ ही वह कभी किसी को ‘ना’ नहीं कहा करते थे। अपने दफ्तर में आने वाली हर फाइल को खुद पढ़ा करते थे। फाइल का वह एक-एक शब्द खुद देखते थे और उसे अंडरलाइन भी किया करते थे। लाल निशान सेक्शन अफसर नहीं बल्कि खुद एनडी तिवारी के हुआ करते थे।
एनडी तिवारी उत्तराखंड के अकेले ऐसे मुख्यमंत्री थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया था। उत्तराखंड के पहले मुख्यमंत्री नित्यानंद स्वामी 9 नवंबर 2000 को मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन वह इस पर सिर्फ 354 दिन ही रह सके। इसके बाद बीजेपी नेता भगत सिंह कोश्यारी को सीएम बनाया गया जो सिर्फ 122 दिन ही सीएम रह सके। 2 मार्च 2002 को एनडी तिवारी सूबे के सीएम बने और 7 मार्च 2007 तक 5 साल 5 दिन का अपना कार्यकाल पूरा किया।