शनिवार रात को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़ (New Delhi Railway Station Stampede) मचने से 18 लोगों की मौत हो गई है। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। रेलवे प्रशासन ने मृतकों के परिवारवालों और घायलों के लिए मुआवजे की घोषणा कर दी है। तो वहीं वहीं सरकार और विपक्ष के बीच इस मामले पर बहस छिड़ गई है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतनी बड़ी दुर्घटना हुई कैसे?
प्रत्यक्षदर्शियों के बयान क्या कहते हैं?
New Delhi Railway Station Stampede में अपनी बहन को खो चुके संजय ने बताया, ‘भगदड़ मचने के बाद मेरी बहन आधे घंटे तक लापता थी। जब मिली तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। हम करीब एक घंटे तक उसके हाथ मलते रहे, उसे सांस देने की कोशिश की, लेकिन कुछ नहीं हुआ। स्टेशन पर ना कोई पुलिस थी, न प्रशासन का कोई अधिकारी। हमें अपनी बहन को खुद पटरी पार करके स्टेशन से बाहर लाना पड़ा।’
वहीं स्टेशन पर काम करने वाले एक कुली ने बताया, ‘प्रयागराज जाने वाली ट्रेन को अचानक प्लेटफॉर्म 12 से 16 पर शिफ्ट कर दिया गया। जैसे ही अनाउंसमेंट हुई भारी भीड़ 16 नंबर प्लेटफॉर्म की ओर दौड़ पड़ी। पुल और एस्केलेटर पर लोग बुरी तरह फंस गए। मैंने खुद 15 लाशें उठाकर बाहर निकालीं। प्रशासन के नाम पर स्टेशन पर सिर्फ गिनती के लोग थे। ऊपर से उन्होंने पहले इसे आग लगने की घटना समझकर फायर ब्रिगेड की गाड़ियां भेज दीं।’
एक अन्य यात्री ने बताया, ‘स्टेशन पर भीड़ इस हद तक बढ़ गई थी कि पुलिस भी उसे संभालने में नाकाम रही। पूरी भीड़ पुल पर जमा हो गई, जिससे भगदड़ मच गई। मैं 26 साल से यहां सफर कर रहा हूं, लेकिन इतनी भीड़ पहले कभी नहीं देखी, यहां तक कि छठ पूजा जैसे त्योहार पर भी नहीं।’
रेलवे पुलिस का क्या कहना है? (New Delhi Railway Station Stampede)
रेलवे डीसीपी केपीएस मल्होत्रा ने बताया कि प्लेटफॉर्म नंबर 14 पर अत्यधिक भीड़ जमा हो गई थी क्योंकि वहां प्रयागराज एक्सप्रेस खड़ी थी। इसी बीच स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस और भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस के देरी से आने के कारण प्लेटफॉर्म 12, 13 और 14 पर लोगों की भीड़ लगातार बढ़ती रही। हालत तब बिगड़ी जब प्लेटफॉर्म 14 के एस्केलेटर के पास यात्री फंस गए और वहां भगदड़ मच गई।
कैसे हुआ ये हादसा?
अगर घटनाओं को क्रम से देखें तो यह पूरा मामला प्रशासन की लापरवाही और भीड़ नियंत्रण में नाकामी का नतीजा लगता है।
छुट्टी का दिन और कुंभ का असर
रविवार यानी 16 फरवरी को छुट्टी थी। जिससे रेलवे स्टेशन पर आम दिनों की तुलना में ज्यादा भीड़ थी। इसके अलावा महाकुंभ का आखिरी दौर चल रहा था। जिससे प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की संख्या अचानक बढ़ गई।
स्टेशन पर भीड़ बढ़ने के बावजूद कोई अतिरिक्त इंतजाम नहीं
शनिवार यानी 15 फरवरी की शाम चार बजे से ही भीड़ बढ़ने लगी थी। लेकिन रेलवे प्रशासन ने इसे कंट्रोल करने के लिए कोई खास उपाय नहीं किए। अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती नहीं की गई और ना ही अधिकारियों ने हालात पर नजर रखी।
स्टेशन पूरी तरह से खचाखच भरा था। ट्रेनों में लोग ठूंस-ठूंस कर भरे थे और अंदर जाने या बाहर निकलने का भी कोई सही रास्ता नहीं बचा था। जो कुछ पुलिसकर्मी वहां मौजूद थे। वे भीड़ को काबू करने की कोशिश कर रहे थे। लेकिन भीड़ इतनी ज्यादा थी कि हालात उनके हाथ से बाहर हो गए।
ट्रेनों की देरी और प्लेटफॉर्म बदलने की वजह से हड़कंप
इसी बीच भुवनेश्वर राजधानी एक्सप्रेस और स्वतंत्रता सेनानी एक्सप्रेस के लेट होने के कारण भीड़ और बढ़ गई। इन ट्रेनों को प्लेटफॉर्म 12 और 14 पर आना था, लेकिन ऐन वक्त पर अनाउंस हुआ कि भुवनेश्वर राजधानी प्लेटफॉर्म 16 पर आएगी। यह सुनते ही हजारों यात्री प्लेटफॉर्म 14 से 16 की ओर दौड़ पड़े।
जब भीड़ अचानक 16 नंबर प्लेटफॉर्म की ओर भागी तो पुल और एस्केलेटर पर जबरदस्त दबाव पड़ा। कुछ यात्री फिसलकर गिर गए और उनके ऊपर से लोग गुजरते गए। कुछ की मौत दम घुटने से हुई, जबकि कई लोग कुचलकर गंभीर रूप से घायल हो गए।
प्रशासन पूरी तरह से नाकाम रहा
भगदड़ के बाद भी हालात काबू में लाने में प्रशासन को कई घंटे लग गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक कोई आपातकालीन व्यवस्था नहीं थी। ना एंबुलेंस पर्याप्त संख्या में मौजूद थीं और ना ही मेडिकल टीम। रेलवे प्रशासन ने मृतकों के परिवारों और घायलों के लिए मुआवजे का ऐलान कर दिया है। लेकिन इस घटना ने कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।