दिल्ली : एनसीबी ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की। जी हां बता दें कि एनसीबी ने मादक पदार्थों की तस्करी के खिलाफ अभियान के दौरान श्रीलंका के दो नागरिकों को गिरफ्तार किया। साथ ही उनके कब्जे से करीब 100 किलोग्राम हेरोइन बरामद की गई है जिसकी कीमत करीब 1,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।
एनसीबी ने एक बयान में कहा कि एमएमएम नवास और मोहम्मद अफनास को तमिलनाडु के चेन्नई से गिरफ्तार किया गया जहां वे अपनी पहचान बदल कर रह रहे थे। इन दोनों का ड्रग सिंडिकेट पाकिस्तान, अफगानिस्तान, ईरान, श्रीलंका, मालदीव और ऑस्ट्रेलिया तक में फैला हुआ है। गौरतलब है कि एनसीबी और उसकी समकक्ष श्रीलंका की संस्था नवंबर, 2020 में भारत की समुद्री सीमा में मछली पकड़ी वाली श्रीलंकाई नौका ‘शेनाया दुवा’ से हेरोइन बरामद होने के मामले की संयुक्त रूप से जांच कर रही थीं। इसी जांच के क्रम में दोनों तस्करों की गिरफ्तारी हुई है और श्रीलंका से करीब 100 किलोग्राम हेरोइन जब्त की गई है जिसकी कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में करीब 1,000 करोड़ रुपये आंकी गई है।
एनसीबी और भारतीय तटरक्षकों ने तूतीकोरिन बंदरगाह के पास जहाज को रोका और तलाशी के दौरान उसमें से 95.87 किलोग्राम हेरोइन, 18.32 किलोग्राम मेथाामफेटामाइन, पांच पिस्तौल और उसकी मैगजीन मिले हैं। चालक दल के छह श्रीलंकाई नागरिकों को भी गिरफ्तार किया गया है और सभी फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं। एनसीबी के उपनिदेशक (ऑपरेशंस) के. पी. एस. मल्होत्रा ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तार जुड़े होने, खास तौर से अफगानिस्तान, ईरान और पाकिस्तान के साथ, पूरी जानकारी थी। हमने मामले में उपलब्ध तथ्यों की जांच शुरू कर दी और जल्दी ही पता चल गया कि मुख्य षड्यंत्रकारी चेन्नई में रह रहे हैं। बताया कि बहुराष्ट्रीय हेरोइन सिंडिकेट में नवास और अफनास दोनों, महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। बताया कि दोनों पाकिस्तानी और ईरानी जहाजों से समुद्री के बीच में मादक पदार्थों की लेन-देन का काम करते थे। उन देशों के प्रशासन द्वारा नकेल कसे जाने पर दोनों भागकर श्रीलंका पहुंच गए थे। ऐसा माना जा रहा है कि नवास के खिलाफ इंटरपोल का अंतरराष्ट्रीय वारंट जारी है।
अधिकारियों ने बताया कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान और ईरान से हेरोइन खरीद कर उसे ईरान और पाकिस्तान के बंदरगाहों से मछली पकड़े वाली जहाजों से रवाना किया जाता और समुद्र के बीच में मादक पदार्थ को श्रीलंका और मालदीव के ऐसे ही जहाजों में हस्तांतरित कर लिया जाता। अधिकारियों ने बताया कि यह लेन-देन भारत की समुद्री सीमा के बेहद करीब हुआ करता था।