जोशीमठ में हो रहा भू-धंसाव दुनिया के सामने है। लेकिन सिर्फ जोशीमठ में ही नहीं प्रदेश के कई अन्य स्थानों पर भी भू-धंसाव हो रहा है। नैनीताल में भी चाइना पीक पर बहुत समय पहले से भू-स्खलन हो रहा है। जोशीमठ के हालातों के बाद सरकार सक्रिय हो गई है। नैनीताल में हो रहे भूस्खलन के कारणों का पता लगाने टीम पहुंच गई है।
नैनीताल में भूस्खलन के कारणों का पता लगाने पहुंची टीम
चाइना पीक में सालों से भू-स्खलन हो रहा है। चाइना पीक नैनीताल के आस पास के इलाकों में सबसे ऊंची चोटी चाइना पीक है। यहां 35 साल पहले जबरदस्त भू-स्खलन हुआ था। तब से यहां रुक-रुक कर भूस्खलन होता रहा है।
चाइना पीक में हो रहे भूस्खलन की स्थिति को देखते हुए डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने पहाड़ी के सर्वे के लिए शासन को पत्र भेजा था। जिसके बाद शासन के निर्देश पर मंगलवार को प्रकोष्ठ के निदेशक शांतनु सरकार और उनके साथ मौजूद अधिकारी चायना पीक की चोटी पर पहुंचकर वहां का स्थलीय निरीक्षण किया।
भूस्खलन की रोकथाम के लिए टीम ने दिये ये सुझाव
ये टीम चाइना पीक में हो रहे भू-स्खलन के कारणों का पता लगाएगी। भूस्खलन की रोकथाम के लिए प्रभावी योजना बनाने से पहले टीम के सदस्यों ने कुछ सुझाव दिए। उन्होंने कहा कि भूस्खलन के समय मलबा और पत्थरों को आबादी तक पहुंचने से रोकने के लिए पहाड़ी में जालियां लगाई जानी चाहिए।
वन विभाग की तरफ से बनाई गई दीवारों की ऊंचाई बढ़ाई जानी चाहिए। इसके साथ ही टीम ने पहाड़ी की तलहटी में मलबे से पट चुके कैचपिटों को खाली कराने पर जोर दिया।
जल्द ही प्रशासन को सौंपी जाएगी रिपोर्ट
सर्वे के बाद टीम जल्द ही चाइना पीक के निरीक्षण की विस्तृत रिपोर्ट शासन को सौंप देगी। इस रिपोर्ट के आने के बाद ही पता चल पाएगा कि नैनीताल में हो रहे भू-स्खलन का कारण क्या है। इसके साथ ये भी पता चल पाएगा कि इसे कैसे रोका जाए।