मसूरी। देशभर के लोगों तक पीनट बटर का स्वाद पहुंचाने वाले आजाद भारत के पहले पीनट बटर किंग बचन सिंह नेगी इस दुनिया में नहीं रहे। बचन सिंह नेगी मसूरी के रहने वाले थे। बता दें कि 92 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांस ली। शनिवार दोपहर को उनका निधन हो गया। वहीं बता दें कि रविवार को हरिद्वार में गंगा तट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया। बचन सिंह के निधन पर मसूरी ट्रेडर्स एंड वेलफेयर एसोसिएशन के साथ ही राजनीतिक और सामाजिक संगठनों ने शोक व्यक्त किया।
1955 में अंग्रेस बता गए थे तकनीक
जानकारी मिली है कि बचन सिंह नेगी कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके बेटे विजय सिंह नेगी ने बताया कि उनके पिता अंग्रेजों के विंसेंट हिल स्कूल में नौकरी करते थे। आजादी के बाद 1955 में जब अंग्रेज स्कूल संचालक वापस लौटे तो पीनट बटर बनाने की तकनीक उनके पिता को बता गए थे। उसके बाद पिता से कई बिजनेस मैन ने इसकी रैसेपी पूछी लेकिन पिता जी ने किसी को इसकी तकनीक नहीं बताई.
बचन सिंह नेगी के बेटे ने जानकारी दी कि 1972 में उनके पिता ने घर पर ही पीनट बटर बनाया और शहर की दुकानों में बेचा। लोगों को पीनट बटर पसंद आने लगा तो खूब बिकने लगा और इसकी मांग बढ़ती गई यहां तक कि मसूरी-देहरादून के अलावा बाहर से भी इसके लिए ऑर्डर आने लगे। बताया कि उनके पिता ने बड़े स्तर पर पीनट बटर का का बिजनेस कभी नहीं किया। वो बाहर माल तभी भेजते जब ऑर्डर आते।
कई बिजनेसमैन तकनीक जानने आए थे
बचन सिंह नेगी के बेटे ने बताया कि बीती सदी के मध्य तक अंग्रेज और मसूरी आए प्रवासी तिब्बती ही पीनट बटर का प्रयोग करते थे। जब बचन सिंह के बनाए पीनट बटर का स्वाद लोगों ने चखा तो कई बिजनेस मैन उनके पास इसे बनाने की तकनीक जानने आए लेकिन उनके पिता ने पीनट बटर बनाने की तकनीक किसी को नहीं बताई। बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी भी दून स्कूल में पढऩे के दौरान नेगी के बनाए पीनट बटर के दीवाने थे। उनके पीनट बटर खूब भाता था।