वहीं किसान की मदद के लिए कई संगठन आगे आने लगे हैं। जी हां बता दें कि कोई खाना पानी लेकर आ रहा है तो कोई ब्रेड चाय लेकर आ रहे हैं। कोई पानी खाने की व्यवस्था कर रहा है तो कोई लड्डू और दवाइयों की। कोई चिकित्सा सुविधा किसानों को उपलब्ध करा रहा है तो कोई फल सब्जी लेकर आ रहा है ।कृषि कानून के खिलाफ सिंधु बॉर्डर पर डटे किसानों ने ट्रैक्टर ट्राली को ही अपना अस्थाई घर बना रखा है और सड़कों को ही अपना बिस्तर. इन संगठनों में सठखंड सेवा सोसायटी और यूनाइटेड सिख ऑर्गेनाइजेशन जैसे एनजीओ शामिल है. इसके अलावा भी अलग-अलग लोग स्थानीय स्तर पर अपनी सेवाएं इन आंदोलनकारी किसानों को दे रहे हैं. कोई बिस्किट भिजवा रहा है, तो कोई पानी दे रहा है, तो कोई फल सब्जियां पहुंचा रहा है.
सठखंड सोसाइटी के चेयरमैन इकबाल सिंह का कहना है कि हम लोग तीनों समय किसानों के लिए कुछ ना कुछ जरूर लाते हैं. चाहे चाय-नाश्ता लाए, लंच लाए या रात का खाना लाए. किसान मजदूर संघर्ष समिति पंजाब के ज्वाइंट सेक्रेट्री सुखबीर सिंह समरा का कहना है कि हमको खाने पीने की या किसी प्रकार की कोई दिक्कत नहीं है. h