90 के दशक की सुपरहिट फिल्में तिरंगा, क्रांतिवीर, करण-अर्जुन और नसीब जैसी ब्लॉकबस्टर मूवीज से अपनी पहचान बनाने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। इस बार वजह कोई फिल्म नहीं, बल्कि उनका अध्यात्म की ओर रुख करना है।
महाकुंभ में ममता कुलकर्णी ने न केवल अपना पिंडदान किया, बल्कि किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से दीक्षा लेकर महामंडलेश्वर की उपाधि भी प्राप्त की। इस दीक्षा के बाद अब ममता कुलकर्णी को ममता नंद गिरी के नाम से जाना जाएगा।

अभिनेत्री से अध्यात्म की राह तक का सफर (mamta Kulkarni Bollywood Career)
1991 में अपने बॉलीवुड करियर की शुरुआत करने वाली ममता कुलकर्णी ने बहुत ही कम समय में फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बना ली थी। अपनी अदाकारी और ग्लैमरस अंदाज के लिए मशहूर ममता ने ना केवल बॉलीवुड बल्कि बांग्लादेशी फिल्मों में भी काम किया।

हालांकि, 2002 के बाद उनका यह सफर अचानक रुक गया। ममता की आखिरी फिल्म कभी तुम कभी हम 2002 में रिलीज हुई थी। इसके बाद वह फिल्मों से दूर हो गईं और विवादों का हिस्सा बन गईं। वो एक्ट्रेस कम एक विवादित पर्सनालिटी बन चुकी थीं। धीरे-धीरे उन्होंने भारत से भी दूरी बना ली और केन्या में शिफ्ट हो गईं।
टॉपलेस फोटोशूट विवाद (Mamta Kulkarni Topless Photoshoot)
ममता कुलकर्णी का फिल्मी करियर जितना चमकदार था। उनका निजी जीवन उतना ही विवादित रहा। 1993 में ममता ने स्टारडस्ट मैगजीन के लिए टॉपलेस फोटोशूट करवाया। जिसने बॉलीवुड में खलबली मचा दी। इस विवाद के चलते मैगजीन की प्रतियां ब्लैक में बेची गईं। इस विवाद के चलते ममता पर 15,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया गया।

अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन की चर्चा (Mamta Kulkarni Connection with Underworld)
ममता का नाम उस दौर में अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन से जोड़ा गया। कहा जाता था कि उन्हें कई फिल्मों में अंडरवर्ल्ड की सिफारिश पर काम मिला। चाइना गेट फिल्म के दौरान भी ये विवाद उठा कि डायरेक्टर राजकुमार संतोषी ने अंडरवर्ल्ड के दबाव में ममता को लीड रोल दिया।

खबरों के मुताबिक ममता ने दुबई में ड्रग माफिया विक्की गोस्वामी से शादी की और कई सालों तक वहीं रहीं। कहा जाता है कि 10 साल दुबई में रहकर कपल ने कई गैरकानूनी काम किए। हालांकि ममता ने हमेशा इन आरोपों को खारिज किया।
अध्यात्म की ओर वापसी
लंबे समय तक गुमनामी में रहने के बाद ममता ने साल 2013 में वापसी की। भारत लौटकर उन्होंने ऑटोबायोग्राफी ऑफ ए योगिनी नाम से एक किताब लॉन्च की। इस दौरान उन्होंने कहा था कि वो अब ईश्वर को समर्पित हो चुकी हैं। उस दौरान भी उन्होंने कुंभ में ही वापसी की थी।

तो वहीं 2025 के महाकुंभ में ममता ने एक बार फिर अध्यात्म के मार्ग पर कदम बढ़ाते हुए किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से दीक्षा ली।

महामंडलेश्वर बनने की प्रक्रिया
महाकुंभ में ममता ने किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी से लंबी चर्चा के बाद दीक्षा ली। इसके बाद उन्हें महामंडलेश्वर की उपाधि प्रदान की गई। दीक्षा के बाद ममता ने अपना नाम बदलकर ममता नंद गिरी रख लिया। अब वो आधिकारिक रूप से अध्यात्म और धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ चुकी हैं।
ममता कुलकर्णी ने कहा कि वह 2000 से ही तपस्या कर रही थीं। इससे पहले भी दीक्षा ले चुकी थीं। अब वो अपना पूरा जीवन ईश्वर और धर्म को समर्पित करना चाहती हैं। महामंडलेश्वर बनने के बाद ममता न केवल बॉलीवुड बल्कि अध्यात्म जगत में भी एक नई पहचान बना चुकी हैं।