पीएम मोदी और लक्षद्वीप को लेकर Maldives संग विवाद चर्चा में है। दरअसल, पीएम मोदी के लझद्वीप दौरे के कुछ दिनों बाद मालदीव के कुछ मंत्रियों ने उनके खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया। भारत पर मालदीव को निशाना बनाने का आरोप लगाया और कहा कि भारत श्रीलंका जैसे छोटे देश की तरह पैसे कमाने की कोशिश कर रहा है। इसके बाद सोशल मीडिया पर #BoycottMaldives ट्रेंड कर रहा है। लेकिन क्या आप जानते हैं हिंद महासागर में स्थित मालदीव पर कभी हिंदू राजा शासन करते थे।
Maldives में रहते थे हिंदुओं और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग
इतिहास में मिली जानकारी के अनुसार Maldives में कभी हिंदुओं और बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहा करते थे। मालदील का इतिहास 2500 साल से भी ज्यादा पुराना है। कहा जाता है कि इस देश के शुरुआती लोग गुजराती थे जो लगभग 500 ईसा पूर्व भारत के कालीबंगा से श्रीलंका और फिर मालदीव पहुंचे थे। मालदीव के पहले निवासी धेविस नाम से जाने जाते थे। मालदीव में हिंदू राजाओं का शासन रहा है। तमिल चोल राजाओं ने भी कुछ समय तक मालदीव पर शासन किया था। इसका प्रमाण यहां नाव निर्माण के तरीकीं औरी चांदी के छिद्रित सिक्कों से लगाया जा सकता है।
अरब व्यापारियों के प्रभाव में लोगों ने बदला धर्म
लेकिन 12वीं सदी में इस देश में एक बड़ा बदलाव शुरु हुआ। अरब व्यापारियों के आगमन के बाद से यह देश धीरे-धीरे एक मुस्लिम राष्ट्र में बदल गया। इन अरब व्यापारियों के प्रभाव में आकर यहां के राजा और जनता ने इस्लाम धर्म स्वीकारना शुरु कर दिया। जानकारी के मुताबिक, 20 वीं सदी तक मालदीव पर 6 इस्लामिक राजवंशों की पीढ़ियों ने राज किया था। वहीं, अंग्रेजों ने भी इस देश पर शासन किया। जब मालदीव को 1965 में आजादी मिली तब भारत ही इसे मान्यता देने वाला पहला देश था।
Maldives की आबादी में 98 फीसदी मुस्लिम
हालांकि अब यह देश मुस्लिम देश बन चुका है। अब यहां का आधिकारिक धर्म इस्लाम है। यहां की आबादी में 98 फीसदी मुस्लिम है। मालदीव के संविधान में इस बात का जिक्र है कि गैर मुस्लिम को यहां नागरिकता नहीं दी जा सकती। यहां के सरकारी नियम भी इस्लामिक कानून पर आधारित हैं।