कोटद्वार के मालन नदी पर बना पुल बीते दिनों हुई बारिश के बाद नदी में पानी के उफान आने के बाद टूट गया। जिसके बाद से इसके टूटने को लेकर चर्चाओं के बाजार गर्म हैं। कुछ लोग इस लापरवाही मान रहे हैं तो कुछ लोग पुल की टेक्नोलॉजी को पुराना बता रहे हैं।
मालन पुल टूटने की क्या रही वजह ?
कोटद्वार के मालन नदी में जिस तरीके से नदी में पानी के उफान आने के बाद पुल टूट गया। उसके बाद सबके जेहन पर यही सवाल है कि आखिर पुल टूटने की क्या प्रमुख वजह है। कुछ लोग जहां पुल टूटने की प्रमुख वजह खनन को बता रहे हैं।
तो वहीं दूसरी तरफ कुछ लोगों का यह भी कहना है कि जो पुल बना था वह पुरानी टेक्नोलॉजी के हिसाब से बना था जिस कारण ये टूट गया। जिसके पिलर ओपन फाउंडेशन के बने थे। इसलिए नदी में खनन होने की वहज से नदी में पानी का वेग बढ़ने से पुल की ओपन फाउंडेशन से बने पिलर इसका वेग नही रोक पाए और पुल गिरा गया।
सेफ्टी ऑडिट के बाद भी क्यों नहीं कराई गई पुल की मरम्मत ?
विधानसभा अध्यक्ष जो कि कोटद्वार की विधायक भी हैं उनका कहना था कि उन्होंने मालन नदी पर बने पुल का सेफ्टी ऑडिट भी कराया था। जिसके बाद उन्होंने आपदा विभाग और पीडब्ल्यूडी विभाग को पुल की मरम्मत करने के लिए बजट की मांग की थी। अब सवाल ये है जब पुल की मरम्मत की आवश्यकता सेफ्टी ऑडिट में समझी गई और कोटद्वार की विधायक रितु खंडूरी भी इसको लेकर बजट की मांग करती रही। तो फिर क्यों बजट जारी नहीं हो पाया ?
इसलिए जारी नहीं हो पाया बजट
बजट जारी क्यों नहीं हुआ इस बात की तह तक जाने पर पता चला कि विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी ने जिस तरीके से पुल गिरने के कुछ घंटे बाद ही मौके पर पहुंचकर आपदा सचिव को फोन कर अपना आक्रोश व्यक्त किया। उसको लेकर आपदा सचिव का साफ तौर से कहना है कि मालन नदी में जो पुल गिरा उसकी मरम्मत के लिए नियमों के मुताबिक आपदा विभाग 75 हजार ही दे सकता था।
लेकिन पुल की मरम्मत के लिए 4 करोड़ की रुपए की डीपीआर बनी थी। केंद्र सरकार से भी इसको लेकर पूर्व में अनुरोध किया गया था कि राशि को बढ़ाया जाए। लेकिन केंद्र ने भी राशि को नहीं बढ़ाया। इसलिए आपदा विभाग 75 हजार से ज्यादा किसी भी पुल की मरम्मत के लिए नहीं दे सकता है। ऐसे में पीडब्ल्यूडी विभाग ही इसमें बजट जारी कर सकता था।
आपदा विभाग की पुल टूटने में नहीं कोई लापरवाही
मालन नदी का पुल टूटने के मामले में ये साफ है कि आपदा विभाग की इसमें कोई लापरवाही नहीं थी। क्योंकि आपदा विभाग ने अपने मानक गिना दिए हैं कि वह पुलों को कितना बजट मरम्मत के लिए दे सकते हैं। जो केंद्र सरकार के नियम भी हैं।
PWD विभाग में फाइल घूमती रही और पुल टूट भी गया
अब सवाल पीडब्ल्यूडी विभाग पर आता है कि आखिरकार पीडब्ल्यूडी विभाग से कहां पुल की मरम्मत को लेकर चूक हो गई। पीडब्ल्यूडी सचिव पंकज पांडे का कहना है कि ये बात सही है कि पुल की मरम्मत को लेकर पहले बजट की मांग आपदा विभाग से की गई थी।
इस मांग के बाद पीडब्ल्यूडी डिवीजन ने जिला स्तर पर बजट की व्यवस्था डिस्टिक मिनिरियल फंड से करने की व्यवस्था की थी। लेकिन वहां पर भी पैसा नहीं मिल पाया। जब तक प्रस्ताव पीडब्ल्यूडी मुख्यालय तक पहुंचा तब तक पुल टूट गया।
दोषियों पर होगी कार्रवाई – पीडब्ल्यूडी मंत्री महाराज
मालन नदी पर पुल टूटने के बाद अब शासन स्तर से निर्णय लिया गया है कि जो भी पुलों की मरम्मत होगी वह शासन स्तर पर होगी। इसके लिए बजट की व्यवस्था का भी प्रावधान किया जा रहा। ताकि जगह जगह फाइल घूमने की चक्कर से दिक्कत ना हो।
वहीं पीडब्ल्यूडी मंत्री सतपाल महाराज का कहना है की मालन नदी पर बने पुल टूटने की वजह के जांच चल रही है। जो भी इसके लिए दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी।
इनपुट – मनीष डंगवाल