हरिद्वार: हरिद्वार कुंभ में अखाड़ों के संतों के बीच विभाग की स्थिति खड़ा हो गई है। श्री पंचायती निरंजनी अखाड़े ने 17 अप्रैल से कुंभ समाप्ति की घोषणा की थी। अखाड़ा ने कहा था कि वो कुंभ से अलग हो जाएंगे। उनके इस फैसले के बाद बैरागी संतों में इसको लेकर तीखी नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि कहा कि अखाड़ा परिषद कोई हक नहीं है कि वह सभी अखाड़ों का एक साथ बयान दे।
बैरागी संतों ने कहा कि उनको जाना है तो, वह जाएं। बैरागी के तीनों अखाड़े कुंभ के आखिरी दिन बने रहेंगे। शाही स्नान भी होगा, कुंभ भी होगा। महंत धर्मदास ने कहा कि कुंभ किसी अखाड़े का मोहताज नहीं होता। उनका अपना समय होता है। कुंभ समय पर ही आता है, समय पर ही होता है। इसीलिए वैश्विक महामारी करोना का जन्म हाल ही में नहीं हुआ। डेढ़ साल से लगातार यह महामारी जारी है।
उन्होंने कहा कि संतो को महामारी का भह न दिखाएं। साथ निरंजनी और आनन्द अखाड़े के संतों से माफी मांगने के लिए भी कहा है। मौके पर मौजूद आईजी संजय गुंज्याल, कुंभ मेला अधिकारी दीपक रावत ने भी कहा कि मेला अंतिम समय तक होगा और सरकार की गाइडलाइन के साथ जारी एसओपी का पालन करते हुए चलता रहेगा।