प्रसिद्ध उर्दू कवि गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार को घोषणा की है। बता दें कि गुलजार के नाम से मशहूर संपूर्ण सिंह कालरा हिंदी सिनेमा में अपने कार्य के लिए जाने जाते हैं। वर्तमान समय में वे बेहतरीन उर्दू कवियों में शुमार हैं। वहीं चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध हिंदू आध्यात्मिक गुरु, शिक्षक और चार महाकाव्य समेत 240 से ज्यादा पुस्तकों के लेखक हैं। ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा, यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का फैसला लिया गया है, संस्कृत साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलजार।
गुजरात के गीत कई फिल्मों में हिट
गुलजार के बेहतरीन कार्यों में फिल्म स्लमडॉग मिलयेनियर का गीत जय हो शामिल है, जिसे 2009 में ऑस्कर पुरस्कार और 2010 में ग्रैमी पुरस्कार मिला। समीक्षकों ने प्रशंसित फिल्मों जैसे माचिस, ओमकारा, दिल से और गुरु सहित अन्य फिल्मों में गुलजार के गीतों को सराहा है। भारतीय ज्ञानपीठ ने एक बयान में कहा, अपने लंबे करियर के साथ-साथ गुलजार साहित्य के क्षेत्र में भी मील के नये पत्थर स्थापित कर रहे हैं। कविता में उन्होनें एक नई शैली त्रिवेणी का आविष्कार किया है। गुलजार ने अपनी कविताओं के माध्यम से हमेशा कुछ नया रचा है। पिछले कुछ समय से वह बच्चों की कविता पर भी खास ध्यान दे रहे हैं।
रामभद्राचार्य को मिलेगा ज्ञानपीठ पुरस्कार
रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानंदाचार्यों में से एक हैं और 1982 में उन्हें यह उपाधि मिली थी। 22 भाषाओं पर अधिकार रखने वाले रामभद्राचार्य ने संस्कृत, हिंदी, अवधी और मैथिली सहित कई भारतीय भाषाओं में रचनाओं का सृजन किया है। 2015 में उन्हें पद्म विभूषण पुरस्कार मिला।
ज्ञानपीठ पुरस्कार का इतिहास
साल 1994 में स्थापित ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य में उत्कृष्ठ योगदान के लिए हर साल दिया जाता है। यह पुरस्तार संस्कृत भाषा के लिए दूसरी बार और उर्दू भाषा के लिए पांचवी बार दिया जा रहा है। पुरस्कार में 21 लाख रुपये की पुरस्कार राशि, वाग्देवी की एक प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।