प्रदेश में हिमाचल की तर्ज पर भू कानून को लागू करने की मांग काफी समय से हो रही है। इसको लेकर सीएम धामी का बयान भी सामने आया है। जिसमें सीएम धामी ने सशक्त भू-कानून लागू करने की बात कही है। आइए जानते हैं उत्तराखंड में भू-कानून की मांग कब और क्यों उठी।
प्रदेश में सशक्त भू-कानून लागू करने की मांग तेज
उत्तराखंड में समय-समय पर भू-कानून को लेकर आंदोलन देखे गए। वहीं एक बार फिर से उत्तराखंड में हिमाचल की तर्ज पर सशक्त भू कानून लागू करने की मांग उठने लगी है।
बीते दिन राज्य आंदोलकन कारियों के साथ कई संगठनों ने मिलकर भू-कानून की मांग को लेकर सीएम आवास कूच किया। इस सबके बीच सीएम धामी का कहना है कि सरकार जल्द सशक्त भू कानून लागू करेगी।
सबसे पहले एनडी तिवारी सरकार में बना था भू-कानून
उत्तराखंड में सबसे पहले एनडी तिवारी सरकार में भू-कानून बना था। एनडी तिवारी सरकार में बाहरी प्रदेशों के व्यक्ति लिए नियम बनाया गया था। जिसके मुताबिक बाहरी प्रदेशों के लोग उत्तराखंड में 500 वर्ग मीटर कृषि योग्य भूमि खरीद सकते थे। जबकि उद्योगों के लिए भी एनडी तिवारी सरकार में 12 एकड़ जमीन खरीदने का नियम तय हुआ था।
खंडूरी सरकार में फिर जमीन खरीदने को लेकर हुआ था बदलाव
एनडी तिवारी सरकार में बनाए गए भू-कानून में खंडूरी सरकार में बदलाव किया गया। जिसमें जमीन खरीदने को लेकर बदलाव किया गया। इसके तहत कृषि योग्य जमीन का दायरा 500 वर्ग मीटर से कम कर 250 वर्ग मीटर कर दिया गया था।
त्रिवेंद्र सरकार में फिर भू कानून में हुए बड़े बदलाव
खंडूरी सरकार में बदलाव के बाद फिर से त्रिवेंद्र सरकार में फिर से भू-कानून में बड़े बदलाव किए गए। उत्तराखंड में पर्वतीय क्षेत्रों में भी उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ये बदलाव किए गए थे। इसमें 12 एकड़ उद्योगों की जमीन खरीदने को असीमित किया गया। त्रिवेंद्र सरकार में लागू हुए भू-कानून के बाद से लोगों में सबसे ज्यादा आक्रोश है। इसी के बाद से प्रदेश में एक सशक्त भू-कानून की मांग की जा रही हैं।
बता दें कि उत्तराखंड में वर्तमान समय में उद्योगों के लिए जहां असीमित जमीन खरीदने का प्रावधान है। तो वहीं कृषि योग्य भूमि पर 250 वर्ग मीटर जमीन बाहरी प्रदेशों के लोग खरीद सकते हैं। शहरी क्षेत्र में जो जमीन कृषि योग्य भूमि के अंतर्गत नहीं आती है वहां पर भी असीमित जमीन खरीदने का प्रावधान जानकार बताते हैं।
सीएम धामी के बयान पर कांग्रेस ने उठाए सवाल
लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि उनकी सरकार सशक्त भू कानून को लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है। वहीं सीएम धामी के बयान पर कांग्रेस ने सवाल खड़े किए हैं। कांग्रेस का कहना है कि एक तरफ जहां सरकार सशक्त भू कानून बनाने की बात कर रही है। तो वहीं धामी सरकार ने उन उद्योगपतियों को राहत देने का काम किया है जिन्होंने जमीन खरीद कर उद्योग नहीं लगाए है।
इनपुट – मनीष डंगवाल