सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को नीट-यूजी परीक्षा में अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। याचिका में पांच मई को हुई परीक्षा रद्द करने, एनटीए को दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देने और अनियमितताओं के संबंध में कोर्ट की निगरानी में जांच किए जाने की मांग की गई। कुछ याचिकाकर्ताओं के वकील ने कोर्ट से दोबारा परीक्षा कराए जाने की मांग करते हुए कहा कि कसूरवार और बेकसूरों की पहचान करना संभव नहीं है। इस दौरान प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रूचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनटीए को परीक्षा रद्द करने से रोकने की मांग वाली गुजरात के 50 से ज्यादा सफल परीक्षार्थियों की याचिका पर भी सुनवाई की। आइये बिंदुओं में जानते हैं सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियां
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणियां
- यदि कोई परीक्षा की शुचिता नष्ट हो जाए तो फिर से परीक्षा कराने का आदेश देना पड़ता है।
- अगर हम दोषियों की पहचान करने में असमर्थ हैं तो दोबारा परीक्षा का आदेश देना होगा।
- यदि प्रश्न पत्र लीक सोशल मीडिया के जरिए हुआ, तो दोबारा परीक्षा कराने का आदेश देना होगा।
- कुछ ध्यान देने वाली बातें हैं, 67 उम्मीदवार 720 में से 720 अंक प्राप्त कर रहे हैं, जबकि पिछले सालों में यह अनुपात काफी कम था।
- यदि प्रश्न पत्र टेलीग्राम, व्हाट्सएप और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से लीक होता है, तो यह जंगल की आग की तरह फैलता है।
- यह साफ है कि प्रश्न पत्र लीक हुआ है।
- इसमें प्रश्न पत्र के लीक की सीमा का पता लगा रहे हैं।
- हम प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की संख्या जानना चाहते हैं, उनके खिलाउफ क्या कार्रवाई की गई है।
- कितने गलत कृत्य करने वालों के परिणाम रोके गए हैं, ऐसे लाभार्थियों का भौगोलिक वितरण जानना चाहते हैं।
- यह मानते हुए कि सरकार परीक्षा रद्द नहीं करेगी, वह प्रश्न पत्र लीक के लाभार्थियों की पहचान करने के लिए क्या करेगी?
- जो हुआ उसे हमें नकारना चाहिए।