लोकसभा में केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मंगलवार को चर्चा शुरू हुई। बहस की शुरुआत कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने की। बता दें कि मोदी सरकार के खिलाफ ये दूसरा अविश्वास प्रस्ताव है। इससे पहले 2018 में एनडीए ने टीडीपी द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव का सामना किया था। वहीं इस बार के अविश्वास प्रस्ताव में सबसे ज्यादा राहुल गांधी के बोलने का सभी को इतंजार है। आइये जानते हैं क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव? इस बार क्या कहता है संख्या बल ?
संविधान में अविश्वास प्रस्ताव का कोई जिक्र नहीं है, लेकिन अनुच्छेद-118 के तहत हर सदन अपनी प्रक्रिया बना सकता है। वहीं नियम 198 के तहत ऐसी व्यवस्था है जिसमें सदन के सदस्य लोकसभा अध्यक्ष को सरकार के विरूद्ध अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दे सकते हैं।
26 जुलाई को हुआ था प्रस्ताव लाने का फैसला
बता दें कि 26 विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ने मोदी सरकार के खिलाफ 26 जुलाई को अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया था। अगले दिन 27 जुलाई को लोकसभा अध्यक्ष ने विपक्ष के प्रस्ताव के स्वीकार कर लिया। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ने बहस की तिथि आज के लिए तय कर दी।
जानें क्या होता है अविश्वास प्रस्ताव
बता दें कि प्रस्ताव पारित करने के लए सबसे पहले विपक्षी सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष को इसकी लिखित सूचना देनी होती है। इसके बाद स्पीकर उस दल के किसी सांसद से इसे पेश करने के लिए कहते हैं। यह अविश्वास प्रस्ताव बहस के लिए तभी स्वीकार होता है जब कम से कम प्रस्ताव पेश करने वाले सांसद के पास 50 सदस्यों का समर्थन हासिल हो। फिर लोकसभा अध्यक्ष की मंजूरी मिलने के बाद 10 दिन के अंदर इस पर चर्चा कराई जाती है। साथ ही इस अविश्वास प्रस्ताव पर बहस का समय लोकसभा अध्यक्ष तय करते हैं। आम तौर पर अधिक सांसदों वाली पार्टी को बोलने का ज्यादा समय दिया जाता है। विपक्ष के आरोपों पर सरकार जवाब देती है। चर्चा के बाद स्पीकर अविश्वास प्रस्ताव के बारे में वोटिंग कराते हैं या फिर कोई फैसला लेते हैं।
2018 में मोदी सरकार के खिलाफ आया पहला प्रस्ताव
बता दें कि संसद के गठन के बाद से अब तक लोकसभा में कुल 27 अविश्वास प्रस्ताव लाए जा चुके हैं। मोदी सरकार में यह दूसरी बार है जब अविश्वास प्रस्ताव लाया गया है। इससे पहले भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को 20 जुलाई 2018 को अपने पहले अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। उस समय टीडीपी पार्टी द्वारा अविश्वास प्रस्ताव लाया गया था। टीडीपी ने अविश्वास प्रस्ताव लाने की वजह केंद्र द्वारा आंध्र प्रदेश को पर्याप्त धन उपलब्ध कराने में विफल रहना बताया था।
2018 का अविश्वास प्रस्ताव बुरी तरह हारा
जब 2018 में पहली बार मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव टीडीपी पार्टी लेकर आई थी तब प्रस्ताव को कई विपक्षी दलों का समर्थन प्राप्त था लेकिन शिवसेना कार्यवाही से दूर रही और बीजेडी सदन से बाहर चली गई थी। बहस के दौरान विपक्ष ने कृषि संकट, आर्थिक नीति, मॉब लिंचिंग सहित कई मामलों को उठाते हुए सरकार की आलोचना की थी। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार ने बहस के बाद लोकसभा में प्रस्ताव को हरा दिया था। 126 सांसदो मे इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, लेकिन 325 सांसद इसके खिलाफ थे। इस कारण अविश्वास प्रस्ताव पूरी तरह हार गया था।
इस बार का संख्या बल
भाजपा की अगुआई वाली एनडीए सरकार के पास अभी लोकसभा में 330 से ज्यादा सांसदों का समर्थम है। फिलहाल भाजपा के 300 लोकसभा सांसद है। वही विपक्ष के खेमे यानी इंडिया गठबंधन के पास लोकसभा में 142 सांसद हैं। संख्याबल के हिसाब से निचले सदन में विपक्ष की तुलना में सत्तापक्ष काफी मजबूत है।