हिन्दूस्तान का सैनिक मरने के लिए नहीं बल्कि मारने के लिए पैदा होता है, उस दिन मैं मर ही गया होता लेकिन सिक्के ने मेरी जान बचाई। ये कहानी है टाइगर हिल के सूबेदार मेजर योगेन्द्र यादव की जिन्होनें कारगिल की लड़ाई न सिर्फ लड़ी बल्कि जीती भी है। कारगिल के युद्घ को पूरे 24 साल हो गए हैं लेकिन वो यादें आज भी लोगों के दिल में जिंदा है। ये वो दौर था जब तीन बार भारत से हारने के बाद भी पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और एक बार फिर 1999 में भारत की सीमा में पाक के सैनिकों व आतंकवादियों ने घुसपैठ की। जिसके बाद भारत ने 2 लाख सैनिकों को कारगिल युद्ध में भेजा। 60 दिनों तक चले इस युद्ध में भारत की जीत हुई लेकिन भारत के 500 से ज्यादा सैनिक इस युद्ध में शहीद हो गए। उन शहीदों की याद में हर साल 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है। सुबेदार मेजर योगेन्द्र यादव भी इस कारगिल युद्ध के हीरो रहे हैं जिन्होनें कई पाक के सैनिकों को हराया और देश का तिरंगा टाइगर हिल में फहराया है। आज कारगिल दिवस के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं सुबेदार मेजर योगेन्द्र यादव की कहानी जिसे सुनकर देशवासी उन्हें सलाम करते हैं ।
उत्तर प्रदेश के निवासी है योगेन्द्र यादव
उत्तर प्रदेश के रहने वाले सूबेदार मेजर योगेन्द्र यादव जिनकी 5 मई 1999 को शादी हुई, छुट्टी पर घर आए थे,,लेकिन अचानक 20 मई को हैड क्वार्टर से बुलावा आ गया। जिसके बाद मेजर योगेन्द्र यादव व उनकी बटालियन को दराज सेक्टर के तोलोलिंग पहाड़ी फतह करने का टास्क मिला। उस समय तोलोलिंग पहाड़ी पाकिस्तानी फौज के कब्जे में थी। योगेन्द्र यादव की पलटन के जांबाज फौजियों ने 22 दिन की लंबी लड़ाई के बाद तोलोलिंग पहाड़ी पर कारगिल युद्ध की पहली विजय के साथ तिरंगा फहरा दिया। तोलोलिंग के बाद पलटन का अगला टास्क टाइगर हिल टॉप था। टाइगर हिल टॉप पूरी तरह पाकिस्तानी फौज के कब्जे में था। वहां पहुंचना आसान नहीं था। जुनून और जज्बे के साथ दुश्मनों की तरफ कदम बढ़ाते हुए चढ़ाई शुरू कर दी।
सात जवानों के साथ पहुंचे टाइगर हिल टॉप
पाकिस्तानी फौज पहाड़ी की चोटी पर थी। उसके लिए टारगेट बहुत आसान था। मेजर योगेन्द्र यादव और उनकी बटालियन ने रास्ता साफ करने के लिए पांच पाकिस्तानी जवानों को ढेर कर दिया। पाकिस्तानी फौज ने ताबड़तोड़ गोलीबारी कर हिंदुस्तानी फौज का रास्ता रोक दिया। पाकिस्तानी फौज की गोलीबारी से बचते हुए सुबेदार मेजर योगेन्द्र यादव अपने सात जांबाज जवानों के साथ टाइगर हिल टॉप पहुंचे। दोनों तरफ से गोलीबारी हुई। भारतीय फौजियों के पास बारूद कम था। तब कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन जुनून सिर्फ टाइगर हिल टॉप पर तिरंगा फहराने का था। पाकिस्तानी फौज की आंखों में धूल झोंकने के लिए भारतीय फौजियों ने प्लान के तहत गोलीबारी बंद कर दी। इससे पाक फौज गलतफहमी का शिकार हो गई।
सिक्कों ने बचाई सुबेदार मेजर योगेन्द्र यादव की जान
पाक के सैनिकों को लगा कि गोलीबारी में हिंदुस्तानी फौजी मर गए। वहीं भारतीय फौजियों ने रणनीति के तहत अचानक पाकिस्तानी फौज पर हमला बोल दिया और कई पाकिस्तानी मारे गए। कुछ पाकिस्तानी फौजी भाग निकले और योगेन्द्र यादव की बटालियन ने टाइगर हिल टॉप पर कब्जा कर लिया। लेकिन जीत का जश्न मनाते ही 35 मिनट के बाद पाक की तरफ से दोबारा हमला हो गया। पाक फौजियों की संख्या काफी अधिक थी। आमने-सामने की लड़ाई में भारतीय फौज की बटालियन के सभी फौजी मारे गए। मेजर योगेन्द्र यादव भी बुरी तरह जख्मी हो गये। उनके हाथों और पैरों में कई गोलियां लगी उनके सामने पाक फौजियों ने शहीद हिंदुस्तानी फौजियों के साथ क्रूरता की। शहीदों के पार्थिव शरीर को बूटों से कुचला और गोलियां बरसाई। जमीन पर पड़े मेजर योगेन्द्र यादव सब देख रहे थे । एक सैनिक ने जाते-जाते योगेन्द्र यादव के हाथ और पैरों में गोलियां दागी। और एख सैनिक ने उनके सीने में गोली दागी। सीने में जैकेट की जेब में सिक्के थे। सिक्कों ने सुबेदार मेजर योगेन्द्र यादव की जान बचा ली।
टाइगर हिल टॉप पर फहराया तिरंगा
जिसके बाद सुबेदार मेजर योगेन्द्र यादव ने दर्द को भुलाकर हिम्मत जुटाई और रैंगते हुए शहीद सैनिकों के पास गये। लेकिन तब तक कोई भी जिंदा नहीं था। जिसके बाद योगेन्द्र यादव ने अपने साथी की राइफल उठाई और ताबड़तोड़ गोलियां चलाते हुए एक नाले से लुढ़ककर नीचे आ गये। खाने को कुछ नहीं था। ठंड से जिस्म अकड़ा था। खुद को भरतीय फौज के बेस तक पहुंचाया। वहां पहुंचने पर पाकिस्तानी फौज की पूरी प्लानिंग की जानकारी दी। 72 घंटे से आधे पैकेट बिस्कुट पर वो जिंदा थे। तीन दिन के बाद उन्हें होश आया। तब तक सुबेदार मेजर योगेन्द्र की बटालियन ने टाइगर हिल टॉप पर कब्जा कर तिरंगा फहराने के साथ कारगिल युद्ध में विजय फतह कर ली थी।
परमवीर चक्र से हुए सम्मानित
4 जुलाई 1999 को इस जीत के लिए उन्हें उच्चतम भारतीय सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। मात्र 19 वर्ष की आयु में परमवीर चक्र प्राप्त करने वाले सुबेदार मेजर योगेन्द्र यादव, सबसे कम उम्र के सैनिक हैं जिन्हें यह सम्मान प्राप्त हुआ हैं। सुबेदार मेजर योगेन्द्र यादव को इस जज्बे को पूरा हिन्दूस्तान सलाम करता है।