इस बार 2023 में नोबेल शांति पुरस्कार ईरान की मानवाधिकार कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को दिया गया है। नरगिस मोहम्मदी को ईरान में महिलाओं के दमन के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद करने के लिए जाना जाता है। नरगिस हमेशा से ही महिलाओं के अधिकार, लोकतंत्र सहित कई मुद्दों पर सक्रियता से अभियान चलाती रही हैं जिस कारण उन्हें गिरफ्तार भी किया गया है। कई सालों तक सलाखों के पीछे रहने के बावजूद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
नोबेल पुरस्कार में 1.1 करोड़ स्वीडिश क्रोनर, जो 10 लाख अमेरिकी डॉलर के बराबर हैं, का नकद पुरस्कार दिया जाता है। दिसंबर में एक सेरेमनी में नोबेल पुरस्कार विजेताओं के गोल्ड मेडल और डिप्लोमा दिया जाएगा।
महिलाओं के लिए मजबूती से लड़ी नरगिस
नरगिस मोहम्मदी महिलाओं के सशक्त करने और उनके अधिकारों के लिए मजबूती से लड़ी है। इस दौरान उन्हें जुल्म और अत्याचार का सामना भी करना पड़ा है। नरगिस मोहम्मदी को 2021 में हिरासत में लिया गया था। जब उन्होंने गैसोलीन की कीमतों में वृद्धि के कारण 2019 में देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में मारे गए एक व्यक्ति के स्मारक में जाने की कोशिश की थी।
31 साल से जेल में है नरगिस मोह्म्मदी
साल 2021 में नरगिस मोहम्मदी को हिरासत में लेने के बाद तेहरान की कुख्यात एविन जेल भेजा गया, अभी फिलहाल वो जेल में ही हैं। बकौल बेरिट रीस-एंडरसन, नरगिस मोहम्मदी को 13 बार जेल जाना पड़ा और पांच बार उन्हें दोषी ठहराया गया। 51 वर्षीय नरगिस मोहम्मदी ने 31 साल सलाखों के पीछे गुजारे हैं।
नोबेल शांति पुरस्कार पाने वाली 19वीं महिला
साल 2003 में मानवाधिकार कार्यकर्ता शिरीन एबादी के पुरस्कार जीतने के बाद नरगिस मोहम्मदी नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने वाली 19वीं महिला और दूसरी ईरानी महिला हैं।नरगिस मोहम्मदी ईरान में प्रतिबंधित एक मानवाधिकार केंद्र की उपाध्यक्ष थीं। नरगिस मोहम्मदी को 2018 आंद्रेई सखारोव पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
लेखों के दम पर दी ईरान सरकार को कई चुनौतियां
सलाखों के पीछे रहने के बावजूद नरगिस मोहम्मदी का हौंसला नहीं टूटा और उन्होंने न्यूयॉर्क टाइम्स के लिए एक ओपिनियन लिखा। उन्होंने अपने लेखों के दम पर ईरान सरकार को कई बार चुनौतियां दी हैं। दरअसल, सितंबर 2022 में 22 वर्षीय महसा अमीनी की पुलिस हिरासत में मौत हो गई थी। महसा अमीनी की मौत को बाद ईरान में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए। हालांकि, ईरान सरकार ने प्रदर्शनकारियों पर खूब अत्याचार किया। जिसकी वजह से 500 से अधिक लोग मारे गए, जबकि 22,000 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया।