दुनियाभर में इस समय सौर तूफान की चर्चा तेज है। इसके आने से धरती में कई सप्ताह के लिए इंटरनेट बंद हो सकता है। ये तूफान सैटेलाइट्स को निष्क्रिय कर देगा। इस तूफान को Solar Storm या सोलर मैक्सिमम के नाम से जाना जाता है। नासा ने चेतावनी जारी की है कि सूर्य से निकलने वाले अरबों गर्म प्लाजमा धरती की तरफ बढ़ रहे हैं। तूफान पहले भी धरती को प्रभावित कर चुका है लेकिन इस बार इसका असर सबसे ज्यादा देखने को मिलेगा।
क्या है ये तूफान?
बता दें कि सूरज में हर समय कई विस्फोट होते रहते हैं। इन विस्फोटों से तेज गर्मी और रेडिएशन निकलती है। इस दौरान अरबों टन की मात्रा में सोलर प्लाजमा या सोलर फ्लेयर निकलता है जो अंतरिक्ष फैल जाता है। ये प्लाजमा धरती तक भी आता है और यहां ये तूफान का रुप लेता है। इस तूफान की रफ्तार 250 किलोमीटर प्रति सेकेंड से 3000 किलोमीटर प्रति सेकेंड तक हो सकती है। इस तूफान में सूरज से निकलने वाले चाज्र्ड प्रोटीन और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन होते हैं जो धरती के चारों ओर स्थित सैटेलाइट्स को प्रभावित करते हैं। ये रेडिएशन धरती के लिए बेहद नुकसानदायक होते हैं।
जनवरी 2024 के शुरुआत में आ सकता है तूफान
इसरो से मिली जानकारी क अनुसार सूरज की साईकिल 11 साल की होती है और हर 11 साल में एक बार ये रेडिएशन का तूफान यानी सोलर मैक्सिमम आता है। भारतीय वैज्ञानिकों की चेतावनी के अनुसार Solar Storm जनवरी 2024 के शुरुआत में ही आ सकता है।
तूफान Solar Storm में क्या होगा?
ये रेडिएशन धरती के ऊपरी सतह को ज्यादा प्रभावित करती है।
इसकी असर धऱती की आबाद पर तो नहीं पड़ता है लेकिन धऱती के कक्ष में चक्कर लगा रहे सैटेलाइट्स पर पड़ता है।
उल्ट्रावॉयलेट रेज की वजह से धरती की ऊपरी सतह का तापमान तेजी से बढ़ता है और गर्मी काफी बढ़ जाती है।
गर्मी बढ़ने से सैटेलाइट्ल प्रभावित होते हैं और उनकी उम्र कम हो जाती है।
इसके प्रभाव से टेलीकम्यूनिकेशन पर असर पड़ता है और इस तरह इंटरनेट, टेलीविजन, नेट बैंकिग यानी कुल मिलाकर वो सारे काम जो सैटेलाइट्स की मदद से मुमकिन हैं वो हफ्तों के लिए प्रभावित हो सकते हैं।