उत्तराखंड में दरोगा भर्ती घोटाला मामले में पिछले एक साल से निलंबित दरोगाओं के लिए राहत भरी खबर है। पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर सभी निलंबित दरोगाओं को बहाल कर दिया है। एडीजी प्रशासन अमित सिन्हा ने सभी जिलों के कप्तानों को पत्र लिखकर इन दारोगाओं को बहाल करने के निर्देश दे दिए हैं।
निलंबित दरोगाओं को किया बहाल
बता दें यूकेएसएसएसी की परीक्षाओं में धांधली की बात सामने आई थी। 2015 में हुई सीधी दरोगा भर्ती में भी धांधली की बात सामने आई थी। इसके बाद पुलिस मुख्यालय ने इस मामले में विजिलेंस से जांच कराने की संस्तुति की।
विजिलेंस ने प्राथमिक जांच के बाद आठ अक्टूबर 2022 को मुकदमा दर्ज किया था। जिसके बाद पुलिस मुख्यालय के निर्देश पर 20 दरोगाओं को निलंबित कर दिया था। बता दें यह परीक्षा पंतनगर विश्वविद्यालय ने आयोजित कराई थी।
कई दरोगाओं के खिलाफ नहीं मिले धांधली के साक्ष्य
एक साल से ज्यादा लंबे समय से चली जांच के बाद विजिलेंस ने पिछले दिनों शासन को रिपोर्ट भेज दी है। बताया जा रहा कि इनमें से कई दरोगा ऐसे हैं जिनके खिलाफ धांधली के साक्ष्य नहीं मिले हैं।
हालांकि अंतिम निर्णय इस पर शासन को ही लेना है। अब पुलिस मुख्यालय ने इन सभी दरोगाओं को बहाल करने के आदेश दिए हैं। इनमें से पौड़ी में तैनात दरोगा पुष्पेंद्र की सड़क हादसे में कुछ समय पहले मौत हो चुकी है।
इन दरोगाओं को किया बहाल
प्रवेश रावत (देहरादून), ओमवीर सिंह (देहरादून), राज नारायण व्यास (देहरादून), जैनेंद्र राणा (देहरादून), निखिलेश बिष्ट (देहरादून) दीपक कौशिक (उधम सिंह नगर) अर्जुन सिंह (उधम सिंह नगर), हरीश महार (उधम सिंह नगर), लोकेश (उधम सिंह नगर), संतोषी (उधम सिंह नगर) बीना पपोला (उधम सिंह नगर), जगत सिंह शाही (उधम सिंह नगर) नीरज चौहान (नैनीताल), भावना बिष्ट (नैनीताल) आरती पोखरियाल अभिसूचना (नैनीताल), प्रेमा कोरमा (नैनीताल), मोहित सिंह रौथाण (sdrf), गगन मैठाणी (चमोली), तेज कुमार (चंपावत)