भारत की पहली महिला महावत होने का गौरव असम की पार्बती बरूआ को हासिल हुआ है। उन्हें सामाजिक कार्यों के लिए पद्मश्री से नवाजा जाएगा। हाथी को चलाने में कुशल पार्बती 14 साल की उम्र से जंगली हाथियों को वश में करना शुरु कर दिया था। रूढ़िवादिता पर काबू पाने वाली पार्बती ने परंपरागत रुप से पुरुष प्रधान इस काम में अपनी अलग पहचान बनाई है।
जंगली हाथियों को पकड़ने में महारथ हासिल
पार्बती ने इंसानों और हाथियों के संघर्ष को टालने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। वैज्ञानिक पद्धति का इस्तेमाल करते हुए इन्होनें तीन राज्यों की सरकारों की सहायती भी की। जंगली हाथियों को पकड़ने पार्बती को महारथ हासिल है। पार्बती को अपने पिता से यह कौशल विरासत में मिली है। 14 साल से काम कर रही पार्बती बीते 4 दशकों से अथक प्रयास कर रही हैं। कई लोगों की जान बचाने में इनकी अहम भूमिका रही है।
किसे दिया जाता है पद्मश्री
बता दें कि पद्मश्री पुरुस्कार उन लोगों को दिया जाता है, जिन्होनें किसी क्षेत्र में कोई प्रतिष्ठित व आसाधारण कार्य किया हो, जिसमें लोक सेवा का तत्व जुड़ा हों। हर साल गणतंत्र दिवस के मौके पर इन पुरुस्कारों की घोषणा होती है। फिर मार्च या अप्रैल में होने वाले समारोह में राष्ट्रपति द्वारा विजेताओं को सम्मानित किया जाता है।