टोक्यो ओलंपिक्स के सेमिफाइनल मुकाबले में टीम इंडिया को 5-2 से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद टीम इंडिया की फाइनल की उम्मीदों पर पानी फिर गया। हालांकि अब भी टीम इंडिया के पास एक मौका है और वह ब्रॉन्ज मैडल जीत सकती है। देश इस ऐतिहासिक मुकाबले का गवाह बना।
मंगलवार सुबह टीवी सेट, मोबाइल्स, कम्प्यूटर्स पर इस मुकाबले का पल-पल देखा गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी सुबह से ही इस मुकाबले पर नजर बनाए हुए थे। भारत की हार के बाद पीएम मोदी ने कहा, हार-जीत तो जीवन का हिस्सा है। हमारी पुरुष हॉकी टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया और यही मायने रखता है। टीम को अगले मैच और उनके भविष्य के प्रयासों के लिए शुभकामनाएं। भारत को अपने खिलाड़ियों पर गर्व है।
कांस्य की उम्मीद बरकरार
अब भी ब्रॉन्ज मैडल की उम्मीदें बरकरार हैं। करोड़ों भारतीयों की उम्मीदें हॉकी टीम पर टिकी हैं। यदि भारत अगला मैच जीतने में सफल रहती है, तो पदक के लिए 41 साल का लंबा इंतजार खत्म हो जाएगा। भारतीय टीम अंतिम ओलंपिक पदक 1980 मॉस्को में जीती थी, जहां उसे गोल्ड मैडल प्राप्त हुआ था।
भारत की हॉकी टीम ओलंपिक में अब तक की सबसे सफल टीम है, जिसने ओलंपिक्स में 11 मैडल जीते हैं। खास बात ये है कि इसमें 8 स्वर्ण पदक शामिल हैं। भारत 1928, 1932, 1936, 1948, 1952, 1956, 1964, 1980 में खेलों में चैंपियन के रूप में उभरा और गोल्ड पर कब्जा जमाया।
1960 रोम में टीम को सिल्वर, 1968 मैक्सिको सिटी और 1972 म्यूनिख ओलंपिक्स में इसे ब्रॉन्ज मैडल प्राप्त हुआ। इसके बाद किसी भी ओलंपिक्स में भारतीय टीम को मैडल जीतने में सफलता नहीं मिल पाई है। यदि भारत ये मैच जीत लेता है तो न केवल मैडल पक्का हो जाएगा, बल्कि मॉस्को ओलंपिक के बाद 41 साल का लंबा इंतजार भी खत्म हो जाएगा।