उत्तराखंड में विधानसभा सत्र की कम अवधि को लेकर सियासत हो रही है। विपक्ष लगातार इसको लेकर सवाल उठा रहा है। विपक्ष का कहना है कि नियम के मुताबिक साल में 60 दिन का सत्र का आयोजन किया जाना चाहिए। लेकिन सरकार पांच सालों में भी 60 दिन का सत्र नहीं करवा पाई है।
पिछले दस सालों में उत्तराखंड में कभी नहीं हुआ 60 दिन का सत्र
सत्र की कम अवधि को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में बीते दस सालों में आज तक नियमानुसार 60 दिन का सत्र अभी भी आयोजित नहीं हुआ। साल 2014 से लेकर 2016 तक कांग्रेस की सरकार की बात करें या फिर साल 2017 से लेकर 2023 तक भाजपा सरकार की किसी के भी कार्यकाल में 60 दिन का सत्र आयोजित नहीं किया गया।
कांग्रेस की सरकार के समय सत्र की अवधि
2014 – 9 जून से 11 जून – 3 दिन
2015 – 2 नवंबर से 3 नवंबर – 2 दिन
2016 – 17 नवंबर से 18 नवंबर – 2 दिन
भाजपा सरकार के समय सत्र
2017 – 7 दिसंबर से 8 दिसंबर – 2 दिन
2018 – 20 मार्च से 26 मार्च – 6 दिन
2019 – कोविड
2020 – 3 मार्च से 7 मार्च – 5 दिन
2021 – 1 मार्च से 6 मार्च – 6 दिन
2023 – 13 मार्च से 16 मार्च – 4 दिन