बिहार में जितिया व्रत के दौरान नदी और तालाबों में डुबकी लगाने गए कम से कम 46 लोगों की मौत हो गई। मृतकों में 37 बच्चे शामिल हैं। पुलिस के मुताबिक, ये घटनाएं 25 सितंबर को आयोजित जीवित्पुत्रिका महोत्सव के दौरान राज्य के 15 जिलों में हुई। इस तीन दिवसीय उतस्व के दौरान महिलाएं एपने बच्चों की भलाई के लिए उपवास करती हैं और पानी में डुबकी लगाती हैं।
मृतकों के परिजनों को मुआवजा
सीएम नीतिश कुमार ने मृतकों के परिजनों के लिए 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है। एक आधिकारिक बयान के मुताबिक 8 मृतकों के परिवार के सदस्यों को मुआवजा दिया जा चुका है।
सभी घाटों पर क्यों नही की व्यवस्था?
राज्य के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि प्रशासन को सभी नदियों के घाटों पर पर्याप्त व्यवस्था करनी चाहिए थी। उन्होनें आरोप लगाते हुए कहा, ये बहुत दुखद है कि इस त्योहार के दौरान राज्य के विभिन्न हिस्सों में कुल 46 लोगों की मौत हो गई। जिला प्रशासन को केवल समर्पिक घाटों पर ही नहीं बल्कि सभी घाटों पर उचित व्यवस्था करनी चाहिए थी। इससे पता चलता है कि राज्य सरकार को लोगों के जीवन की कोई परवाह नहीं है।
इन जिलों में डूबने की घटनाएं
जानकारी मिली है कि पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, नालंदा, औरंगाबाद, कैमूर, बक्सर, सीवान, रोहतास, सारण, पटना, वैशाली, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, गोपालगंज और अरवल जिलों से डूबने की घटनाएं सामने आई। औरंगाबाद में सबसे ज्यादा 8 मौते हुई हैं।