आज दुनिया भले ही कोरोना महामरी से जूझ रही हो, लेकिन शुगर एक ऐसी बीमारी है, जो हर आम और खास लोगों को तेजी से जकड़ रही है। यह बीमारी कब जकड़ लेती है। कई लोगों को इसका पता भी नहीं लग पाता है। जानकारों मानें तो शुगर यानी मधुमेह 21वीं सदी की सबसे भयावह हेल्थ इमरजेंसी हो सकती है। इंटरनेशनल डायबिटीज फेडरेशन (IDF) और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने विश्व मधुमेह दिवस पर यह जानकारी दी है।
दुनियाभर में औसतन 40 लाख मधुमेह मरीजों की मौत हर साल होती है। हालांकि, वर्ष 2021 में महामारी के दौर में 67 लाख मधुमेह रोगियों की मौत हो चुकी है, जिसने अबतक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। 2021 से 2023 के लिए विश्व मधुमेह दिवस की थीम है ‘एक्सेस टू डायबिटीज केयर- इफ नॉट नॉऊ वेन? यानी मधुमेह का उपचार आसान हो, अगर अभी नहीं तो कब?
दुनियाभर में दस में से एक वयस्क को मधुमेह की शिकायत है। इसमें से अधिकतर लोगों को टाइप-2 डायबिटीज है। 23.2 करोड़ लोगों को तो अपने रोग के बारे में पता ही नहीं है। लोगों में हृदय, किडनी, लिवर और नेत्र संबंधी तकलीफें हो रही हैं। गंभीर होने के बाद यह बीमारी लोगों को अपंगता की ओर ले जा रही है। जन्म लेने वाले छह में से एक बच्चा गर्भावस्था के दौरान ही हाई ब्लड ग्लूकोज से प्रभावित होता है, जिसे हाइपरग्लाइसेमिया कहते हैं।
भारत में वर्ष 2025 तक मधुमेह रोगियों की संख्या 6.99 करोड़ थी, जबकि वर्ष 2030 तक आठ करोड़ के पार हो जाएगी। दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश चीन में मधुमेह रोगियों की संख्या 10.96 करोड़ है। ब्रिटेन में हर बीस में से एक वयस्क मधुमेह रोगी। आईडीएफ के अनुसार दुनियाभर में 966 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च मधुमेह के उपचार पर होता है। इसमें पिछले 15 वर्षों में 316 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। आने वाले समय में यह आंकड़ा कई गुना बढ़ जाएगा। स्वीडन के वैज्ञानिकों ने 4195 लोगों पर अध्ययन के बाद दावा किया है कि रक्त की एक जांच से पता किया जा सकता है, किसे टाइप-2 डायबिटीज की तकलीफ होगी। वैज्ञानिकों की टीम दो दशक से जांच कर रही थी।
परिणाम नेचर कम्युनिकेशन जर्नल में प्रकाशित हुआ है। वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमेह के मरीजों के रक्त में फोलिस्टेटिन प्लाज्मा की मात्रा अधिक थी। ये प्लाज्मा शरीर के फैट को तोड़ता है। इसके बाद फैट लिवर में मिल जाता है जो टाइप-2 डायबिटीज और फैटी लिवर डिसीज का कारण बनता है। रक्त में शुगर की मात्रा अत्यधिक होने पर डायबिटिक न्यूरोपैथी का खतरा रहता है। इसमें शरीर में मौजूद तंत्रिकाओं को नुकसान होता है। सबसे ज्यादा नुकसान पैरों और तलवे की तंत्रिका को होता है। – डॉ. विजयनाथ मिश्रा, न्यूरोलॉजी विभाग, इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, काशी हिंदू विवि, वाराणसी
जानें क्या है यह रोग?
जयपुर के सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज के इंडोक्राइनोलॉजिस्ट डॉ. संजय सारण बताते हैं कि मधुमेह की शुरुआत तब होती है, जब पैन्क्रियाज इंसुलिन बनाने में असमर्थ हो जाती है। इसके अलावा पैन्क्रियाज द्वारा बनाया गया इंसुलिन शरीर सही से इस्तेमाल नहीं कर पाता है, तब ऐसी तकलीफ होती है।
इंसुलिन क्या है?
इंसुलिन एक हॉर्माेन है, जो पैन्क्रियाज द्वारा बनता है। हम जो खाना खाते हैं, उसमें मौजूद ग्लूकोज तत्व रक्त के जरिये कोशिकाओं में पहुंचती है, जिससे ऊर्जा बनती है। इंसुलिन ग्लूकोज को कोशिकाओं में पहुंचाने का काम करता है।
हाइपरग्लाइसेमिया की स्थिति
इंसुलिन न बनने या उसका सही इस्तेमाल न होने पर रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ने लगता है। इसे हाइपरग्लाइसेमिया कहते हैं। ग्लूकोज का स्तर अधिक होने पर शरीर के अंगों और ऊतकों को नुकसान होता है। गंभीर स्थिति में प्रमुख अंग काम करना बंद कर सकते हैं।
मधुमेह के प्रकार
टाइप-1 डायबिटीज रू ये बीमारी आमतौर पर बच्चों और किशोरों में अधिक देखने को मिलती है। मरीज में इंसुलिन बहुत कम बनता है या नहीं बनता है। ऐसे मरीजों को रक्त में ग्लूकोज का स्तर संतुलित रखने के लिए नियमित इंसुलिन की खुराक देनी पड़ती है। टाइप-2 डायबिटीज रू कुल मरीजों में 90 फीसदी इसी से ग्रसित। ऐसे मरीजों में शरीर इंसुलिन का सही इस्तेमाल नहीं कर पाता है। खाने वाली दवाओं के साथ इंसुलिन की मदद से इसे नियंत्रित रखा जा सकता है। व्यायाम बहुत जरूरी है।
जेस्टेशनल डायबिटीज
गर्भावस्था में रक्त में ग्लूकोज की मात्रा अधिक होने की स्थिति को जेस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। इससे मां-बच्चा दोनों प्रभावित होते हैं। आमतौर पर प्रसव बाद तकलीफ ठीक हो जाती हैं। बच्चे को टाइप-2 डायबिटीज होने की आशंका रहती है।
लक्षण
अधिक यूरिन होना, खासकर रात में। बार-बार प्यास लगना, वजन कम होना, बहुत अधिक भूख लगना, धुंधला दिखना, हाथ या पैरों में कंपन होना, बहुत अधिक थकान महसूस करना, त्वचा रुखी रहना, घाव का न सूखना, बार-बार संक्रमण होना।
विश्व मधुमेह दिवस
संयुक्त राष्ट्र ने वर्ष 2006 में विश्व मधुमेह दिवस को मान्यता दी थी। हर साल 14 नवंबर को सर फ्रेडरिक बांटिंग के जन्मदिवस पर मधुमेह दिवस मनाया जाता है। सर फ्रेडरिक बांटिंग और चार्ल्स बेस्ट ने वर्ष 1922 में इंसुलिन की खोज की थी, जिसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर मधुमेह रोगियों के इलाज में किया जा रहा है।
शुगर लेवल
खाली पेट रू 100 एमजी/डीएल
खाने के दो घंटे बाद रू 140 एमजी/डीएल
एचबीए1सी रू 6.5 फीसदी हर तीन माह पर