लोकसभा में आज राम मंदिर निर्माण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा हो रही है। इस दौरान एआईएमआईएम सांसद असुद्दीन ओवैसी ने सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होनें कहा कि मैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम की इज्जत करता हूं, मगर नाथूराम गोडसे से मेरी नस्लें नफरत करती रहेंगी। इस दौरान ओवैसी ने कई सवाल किए।
ओवैसी ने पूछे सवाल
ओवैसी ने पूछा, क्या मोदी सरकार एक समुदाय या एक मजहब की सरकार है या सभी पूर देश की सभी मजहबों को मानने वालों की सरकार है? क्या इस सरकार का कोई मजबह है? मेरा मानना है कि इस देश का कोई मजहब नहीं है। क्या 22 जनवरी का पैगाम देकर ये सरकार यह बताना चाहती है कि एक मजहब को दूसरे मजहब को मानने वालों पर जीत मिली है? क्या संविधान इसकी इजाजत देता है?
मेरी नस्लें गोडसे से नफरत करती रहेंगी- ओवैसी
वही इस दौरान ओवैसी ने कहा, हमारे साथ 49 में धोखा हुआ और 2019 में भी इस लोकसभा में हमारे साथ धोखा हुआ। मुस्लिमों को हमेशा भारत के नागरिक होने के लिए बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। क्या मैं बाबर का, ओरंगजेब का या जिन्ना का प्रवक्ता हूं। मैं मर्यादा पुरुषोत्तम राम की इज्जत करता हूं, लेकिन मेरी नस्लें भी नाथूराम गोडसे से नफरत करती रहेंगी, जिसने उस शख्स को गोली मारी, जिसके मुंह से आखिरी शब्द निकले थे हे राम।
बाबरी मस्जिद है और रहेगी- ओवैसी
जब ओवैसी बोल रहे थे तो भाजपा सासंद निशिकांत दुबे से पूछा कि वे इस बात का जवाब दे दें कि क्या वे बाबर को आक्रमणकारी मानते हैं या नहीं? इस पर ओवैसी ने उल्टा सवाल पूछते हुए कहा कि आप पुष्यमित्र शुंग को क्या मानते हैं? निशिकांच दुबे, ओवैसी से आज भी बाबर की बात पूछ रहे हैं। आप मुझसे गांधी के बारे में पूछते, जलियांवाला बाग के बारे में पूछते। मैं अपनी शिनाख्त को नहीं मिटने दूंगा। मैं वो काम नहीं करूंगा, जो भाजपा चाहती है। मैं संविधान के दायरे में रहकर ही काम करूंगा। अपने संविधान के आखिर में ओवैसी ने कहा, आज देश के लोकतंत्र का प्रकाश सबसे कम है। आखिर मैं यहीं कहूंगा कि बाबरी मस्जिद है और रहेगी। बाबरी मस्जिद जिंदाबाद, भारत जिंदाबाद।’