देहरादून: पूर्व सीएम हरीश रावत भले ही चुनाव हार गए। हरदा ने हार की जिम्मेदारी भी ली है। लेकिन, हरदा हार मामने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने ऐलान कर दिया है कि नए सिरे से यह सोचना शुरू करेंगे कि जिन मुद्दों को वो उठा रहे हैं, वो उत्तराखंडियित शायद अब मुद्दे नहीं रहे हैं। लेकिन, तमाम हारों के बीच हरदा को संजीवनी मिल गई है।
वो संजीवनी कोई और नहीं, बल्कि उनकी बेटी अनुपमा रावत हैं। हरदा ने खुद भी कहा है कि बेटी की जीत उनके लिए बहुत बड़ी संजीवनी है। हरिद्वार-ग्रामीण से अनुपमा की जीत मेरे लिए एक बहुत बड़ी संजीवनी है। मैं किन शब्दों में हरिद्वार ग्रामीण की जनता व भाई-बहनों और हरिद्वार वासियों का आभार व्यक्त करूं, मुझे शब्द खोजे नहीं मिल रहे हैं।
पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि हरिद्वार में मां गंगा के तट पर आकर, मां गंगा के माध्यम से हरिद्वार की जनता-जनार्दन को धन्यवाद दूंगा। जिस समय भी मुझको हौसले और सहारे की जरूरत होती है, हरिद्वार मेरे साथ आकर के खड़ा हो जाता है, 2009 में भी हरिद्वार मेरे साथ आकर के खड़ा हुआ और यह हरिद्वार था, जिसने मेरी राजनीतिक जीवन यात्रा को उत्तराखंड में इतना आगे बढ़ाया।
मैं हरिद्वार के इस ऋण से कभी उऋण नहीं हो सकता हूं। मां गंगा के माध्यम से मैं, रुथैंक्यू-हरिद्वार भी कहूंगा। साबिर साहब ने भी हमेशा मुझे हिम्मत दी, सहारा दिया। आज भी जब कांग्रेस के लिए जबरदस्त सूखा पड़ा तो साबिर साहब का हाथ कांग्रेस/मेरी पीठ पर रहा। मैं साबिर साहब की दरगाह पर भी हरिद्वार की जनता-जनार्दन को धन्यवाद देने के लिए पहुंचूंगा।