लोकसभा चुनाव 2024 की प्रक्रिया तेजी पकड़ती जा रही है। राजनीतिक दल अपने उम्मीदवारों की अंतिम घोषणा करने की प्रक्रिया में है, तो दूसरी तरफ नेताओं के दल बदलने का सिलसिला जारी है। ताजा उदाहरण सीता सोरेन का है। इसके अलावा और भी कई नेता है जिन्होनें दल बदलने का काम किया है।
कई कारणों से नेता बदलते हैं दल
नेताओं का दल बदलना कोई नई बात नहीं है। नेता कई कारणों, मसलन टिकट न मिलने, दूसरी पार्टी में जीत की संभावना अधिक दिखने आदि से पार्टी बदलते हैं। हालांकि अब ऐसे नेताओं के लिए बुरी खबर है क्योंकि समय के साथ इनके जीते की संभावना कम होती जी रही है।
अशोक विश्वविद्यालय के त्रिवेदी सेंटर फॉर पॉलिटिकल डेटा ने लोकसभा आंकड़ों का विश्लेषण किया है, जिससे यह आंकड़ा सामने आया है कि 2019 के चुनावों में दल बदलू नेताओं का सक्सेस रेट 15 प्रतिशत से कम रहा था, जबकि 1960 के दशक में औसतन लगभग 30 प्रतिशत दल बदलू नेता जीत रहे थे।
पिछले Loksabha Election में कितने दल बदलू लड़े और जीते?
पिछले लोकसभा चुनाव में 8000 से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में थे, इसमें अलग-अलग दलों के 195 दलबदलू उम्मीदवार भी शामिल थे यानी 2019 लोकसभा चुनाव के कुल उम्मीदवारों में 2.4 प्रतिशत दलबदलू थे। दल बदलने वाले 195 नेताओं में से केवल 29 को ही जीत मिली थी, इस तरह पिछली बार का सक्सेस रेट 14.9 प्रतिशत था। वहीं 2004 लोकसभा चुनाव के कुल उम्मीदवारों में दल बदलू उम्मीदवारों का हिस्सा 3.9 प्रतिशत था और सक्सेस रेट 26.2 प्रतिशत था।
दल बदलू नेताओं के लिए साल 1977 शानदार
अगर बात करें दल बदलू नेताओं के अच्छे साल की तो साल 1977 रहा उनके लिए सही साबित हुआ। आपातकाल के ठीक बाद हुए Loksabha Election में इंदिरा गांधी से मुकाबले के लिए कई राजनीतिक ताकतों ने हाथ मिलाया था। आपातकाल के दौरान जेल में डाले गए तमाम समाजवादी, जनसंघी और किसान नेताओं के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था।
1977 के लोकसभा चुनाव में उतरे 2439 उम्मीदवारों में से 6.6 प्रतिशत यानी कुल 161 दल बदलू थे। इस चुनाव में दल बदलू नेताओं का सक्सेस रेट 68.9 प्रतिशत था, जो अब तक का हाईएस्ट है।
हालांकि अगले ही चुनाव में सक्सेस रेट तीन गुना से ज्यादा गिर गया। 1980 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी ने वापसी की थी। तब 4,629 उम्मीदवारों में से 377 यानी 8.1 प्रतिशत दलबदलू थे। चुनाव के परिणाम आए तो दल बदलुओं का सक्सेस रेट गिरकर 20.69 प्रतिशत हो गया था।
भाजपा या कांग्रेस में से कहां दलबदलू सफल रहे
- 1984 का साल कांग्रेस में आने वाले दल बदलुओं के लिए सबसे अच्छा साल साबित हुआ था। इंदिरा गांधी हत्या के बाद हुए इस चुनाव में कांग्रेस के प्रति सहानुभूति की लहर चल रही थी। तब कांग्रेस ने 32 दल बदलू उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिसमें से 26 को जीत मिली थी यानी कांग्रेस में दल बदलू उम्मीदवारों का सक्सेस रेट 81.3 प्रतिशत था।
- 1984 में भाजपा ने अपना पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था। पार्टी से 62 दलबदलू उम्मीदवार लड़े थे,लेकिन किसी को भी जीत नहीं मिली थी यानी सक्सेस रेट जीरो रहा। लेकिन तब से अब तक आंकड़ों में बड़े बदलाव आ चुके हैं।
- 2014 में भाजपा के टिकट पर लड़ने वाले दलबदलू उम्मीदवारों का सक्सेस रेट 66.7 प्रतिशत था। कांग्रेस के लिए यह आंकड़ा 5.3 प्रतिशत था।
- 2019 में भाजपा के कुल उम्मीदवारों में से 5.3 प्रतिशत दल बदलू थे, जिसमें से 56.5 प्रतिशत को जीत मिली थी। कांग्रेस के कुल उम्मीदवारों में 9.5 प्रतिशत दल बदलू थे और जीत सिर्फ 5 प्रतिशत को मिली थी।