उत्तराखंड अधिनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत अब जेल में हैं। आयोग की परीक्षाओं में धांधली के आरोपों का सामना कर रहे आरबीएस रावत की गिरफ्तारी ने एक सनसनी फैला दी। इसके साथ ही धामी सरकार की करप्शन के खिलाफ मुहिम की भी तारीफ हो रही है।
आरबीएस रावत अपने राजनीतिक रसूख के चलते सरकारों के लाडले बने रहे। उनपर हाथ डालने की हिम्मत किसी सरकार को नहीं हुई। आरबीएस रावत इस राज्य के पीसीसीएफ भी रहे। रिटायर होने के बाद भी उनका रसूख कम नहीं हुआ। हरीश रावत ने आरबीएस रावत को आयोग का अध्यक्ष पद दे दिया। इसी अध्यक्ष पद पर रहते हुए उनपर परीक्षा में धांधली के आरोप लगे। इन्ही आरोपों के तहत उनकी अब गिरफ्तारी हुई है।
हरीश रावत के बाद आरबीएस रावत काफी दिनों तक रिटायरमेंट की लाइफ इंज्वाय करते रहे। हालांकि उनके कार्यकाल में हुई परीक्षा की जांच तो शुरु हो गई थी लेकिन आरबीएस रावत के खिलाफ कार्रवाई की ताकत सरकार की नहीं हुई। त्रिवेंद्र की सरकार जाने के बाद तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने आरबीएस रावत के खिलाफ कार्रवाई तो छोड़िए उन्हे प्रमुख सलाहकार बना दिया गया। हालांकि तीरथ सरकार अधिक दिन नहीं चली और आरबीएस रावत को भी जाना पड़ा। लेकिन बावजूद इसके उनके खिलाफ कार्रवाई के बारे में सोचना मुश्किल था।
इसी बीच धामी सरकार का दूसरा कार्यकाल शुरु हुआ तो आयोग में लगे दीमक को खत्म करने के लिए सरकार ने मोर्चा खोल दिया। इसके बाद आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत भी निशाने पर आ गए।
आरबीएस रावत की गिरफ्तारी के बाद अब उन्हे अध्यक्ष बनाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत उत्तराखंड से माफी मांग रहें हैं। हरीश रावत ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा है कि, ‘व्यक्ति कहां और किस क्षण बड़ी गलती कर जाए या अकर्मण्य सिद्ध हो जाए, कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। भगवान मुझे क्षमा करें, उत्तराखंड मुझे क्षमा करें। शायद इन संस्थाओं में नियुक्त व्यक्तियों के चयन में मुझसे गंभीर चुकें हो गई हैं! मैंने उस कालखंड में मेरे साथ काम करने वाले प्रत्येक व्यक्ति से कहा है कि यदि किसी तरीके की जांच के लिए उनके सहयोग की आवश्यकता है तो वह सहयोग करें और इन जांचों में सहयोग करना हम सबका कर्तव्य है।’