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हरिद्वार: इन दिनों हरिद्वार घोटालों का गढ़ बना हुआ है। पहले कोरोना कुंभ टेस्टिंग और अब पुस्तकालय के नाम पर हुए करोड़ों के घोटाले का उजागर होना सरकार पर कई सवाल खड़े कर रहा है। इन घोटालों को लेकर राज्य में बवाल मचा हुआ है। विपक्ष मदन कौशिक समेत सीएम और सरकार को घेरे हैं। कोरोना टेस्टिंग की जांच शुरु ही हुई थी कि अब 2010 में हुए पुस्तकालय घोटाला भी सामने आ गया है। आपको बता दें कि 2010 में हरिद्वार में बनी 16 लाइब्रेरी को लेकर हुए घोटाले का मामला हाईकोर्ट में पहुंच गया है.
मौके पर जाकर नहीं मिली कोई लाइब्रेरी
बता दें कि जटवारा पुल, सीवीआर कॉलोनी, पूर्वी नाथ नगर, राजीव नगर कॉलोनी समेत इलाकों में लाइब्रेरी बनाने का दावा सरकार के मंत्री ने किया था। लेकिन मौके पर जाकर कोई लाइब्रेरी नहीं मिली. लाइब्रेरी के ज्यादातर स्थानों पर या तो मंदिर बने हुए हैं या फिर भवन या बारात घर. जहां छुटमुट लाइब्रेरी मिली भी वहां एक आलमारी में दो-चार किताबें और कुछ टूटी-फूटी कुर्सियां मिली। इतना ही नहीं कहीं पर तो सिर्फ प्लाट की बाउंड्री दिखाई दी. ऐसे में घोटाले की पुष्टि होती है कि घोटाला हुआ जरुर है तो वहीं इस पर हल्ला होना लाजमी है।
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मदन कौशिक समेत सरकार की हो रही किरकिरी
बता दें कि हरिद्वार में 2010 में विधायक निधि से बने पुस्तकालय के निर्माण में हुए घोटाले का मामला फिर से हाईकोर्ट पहुंचा जिससे मदन कौशिक समेत सरकार की किरकिरी हो रही है. वहीं अब बीजेपी विधायक मदन कौशिक समेत तत्कालीन डीएम, सीडीओ और ग्रामीण अभियंत्रण सर्विस के अधिशासी अभियंता की मुश्किलें बढ़ सकती हैं. आपको बता दें कि हरिद्वार में 2010 में शहर विधायक मदन कौशिक की विधायक निधि से 16 पुस्तकालयों का निर्माण किया गया था. इनके निर्माण को लेकर उस समय भी विवाद हुआ था. तब भी घोटाले की बात सामने आई थी. जिसकी क्षतिपूर्ति जिला अधिकारी और अन्य अधिकारियों के वेतन से की गई थी. पुस्तकालय निर्माण का यह मामला एक बार फिर तब सुर्खियों में आया जब याचिकाकर्ता द्वारा उक्त घोटाले की जांच सीबीआई से कराने को लेकर हाईकोर्ट नैनीताल में अपील की गई.
दोषियों से ब्याज के साथ पैसे की रिकवरी करने की मांग
याचिकाकर्ता सचिन डबराल का कहना है कि जनता का पैसा जनता के लिए खर्च होना चाहिए. उन्होंने कहा पुस्तकालय का निर्माण ऐसे लोगों के लिए होना चाहिए था जो लोग पुस्तकालय में जाकर पढ़ाई लिखाई करते हैं लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसी कारण उन्होंने याचिका डाली. डबराल ने मांग की है कि हाईकोर्ट इस मामले की सीबीआई से जांच कराए और दोषियों से ब्याज के साथ पैसे की रिकवरी करे.