देहरादून : कोरोना के कहर के कारण इस बार चारधाम यात्रा स्थगित कर दी गई। हालांकि सरकार द्वारा चारधाम यात्रा शुरु करने को अनुमति दी गई थी लेकिन इस पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी और यात्रा स्थगित करने का फैसला सुनाया था। हाईकोर्ट ने सरकार से स्वास्थ्य संबंधी और चिकित्सा व्यवस्था को लेकर जवाब मांगा था। इस फैसले का चारधाम के व्यापारियों ने विरोध भी किया था क्योंकि चारधाम यात्रा स्थगित होने के कारण उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है।इससे क्षेत्र के कारोबारियों के समक्ष रोजी रोटी का संकट पैदा हो गया है। ऐसे में व्यपारियों ने सरकार से यात्रा शुरु करने की मांग की थी लेकिन हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी।
वहीं आज यमनोत्री में होटल व्यवसायी धरने पर हैं।बुधवार को होटल एसोसिएशन, टैक्सी-मैक्सी महासंघ सहित यात्रा से जुड़े अन्य लोगों का जत्था यमनोत्री कूच के लिए निकला।व्यापारियों ने जानकी चट्टी से कूच की शुरुआत की।
हरीश रावत चारधाम यात्रा शुरु करने के पक्ष में
आपको बता दें कि चारधाम यात्रा शुरु करने के पक्ष में हरदा भी आ गए हैं। अपने फेसबुक वॉल पर पोस्ट शेयर करते हुए हरीश रावत ने लिखा कि उत्तराखंड में सब कुछ खुला हुआ है, रैलिया भी खुली हैं, यात्राएं भी खुली हैं, सत्तारूढ़ दल की पब्लिक मीटिंगें भी खुली हुई हैं, मगर यदि बंद है केवल चारधाम यात्रा है। कुंभ में कुछ ऐसा कुकर्म हुआ कि उसकी आंच चारधाम यात्रा पर भी पड़ गई है। लोग जो चारधाम यात्रा पर अपनी अजीविका के लिए निर्भय थे, वो आत्महत्या करने के कगार पर आ गये हैं।
हरीश रावत ने आगे लिखा कि सरकार, हाईकोर्ट के सम्मुख अपना पक्ष रखने को तैयार नहीं है। हमने 2014 में बहुत नियंत्रित चारधाम यात्रा चलाई थी, विशेष तौर पर केदारनाथ की। कुछ अतीत से सबक लेकर धामी जी आगे बढ़िये।
उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट में अनुरोध याचिका दायर की
चारधाम यात्रा खोलने को लेकर उत्तराखंड सरकार ने हाईकोर्ट में अनुरोध याचिका दायर की है। हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा वाले जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी, कोविड संक्रमण पर नियंत्रण को पर्याप्त तैयारियां नहीं होने, डॉक्टरों की कमी और जिला प्रशासन की रिपोर्ट के आधार पर 28 जून को अग्रिम आदेशों तक रोक लगा दी थी। इस आदेश के खिलाफ बीती 6 जुलाई को प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दायर की।
मंगलवार को महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर और मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत ने मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत होकर मौखिक तौर पर भी चारधाम यात्रा पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि चारधाम यात्रा से हजारों लोगों की रोजी-रोटी जुड़ी हुई है। कोर्ट ने साफ कहा है कि जब तक मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, हाईकोर्ट रोक हटाने पर विचार नहीं कर सकती है।